छत्तीसगढ़ में लागू हुई होमस्टे नीति 2025-30, ग्रामीणों को मिलेंगे 1 लाख रुपये और पर्यटन से कमाई का मौका

रायपुर 

छत्तीसगढ़ सरकार ने होमस्टे पॉलिसी लागू कर दी है,  सरकार ने 2025-30 के लिए नई छत्तीसगढ़ होमस्टे नीति 2025‑30 बनाई है, जिसका सबसे ज्यादा फायदा ग्रामीणों को मिलने वाला है, खास तौर पर बस्तर और सरगुजा संभाग के जिलों में पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इस दिशा में और काम किया जा रहा है. इस पॉलिसी का मकसद प्रदेश के ग्रामीण और आदिवासी बहुल इलाकों, विशेष रूप से बस्तर और सरगुजा संभागों में होने वाली होमस्टे में और इजाफा करने की तैयारी है, ताकि ज्यादा से ज्यादा पर्यटक इस दिशा में आ सके. 

होम-स्टे की सुविधा बढ़ेगी 

छत्तीसगढ़ सरकार की इस पॉलिसी के तहत ग्रामीण परिवारों को प्रोत्साहन मिलेगा जो अपना घर पर्यटकों के ठहरने के लिए होम-स्टे के रूप में उपलब्ध कराएंगे. सरकार होम-स्टे सेट-अप की सुविधा देने के लिए वित्तीय मदद देगी, जिससे परिवारों को अतिरिक्त आय का स्रोत मिलेगा. यानि अब जो इस दिशा में का करना चाहते हैं उन्हें इसका सबसे ज्यादा फायदा मिलेगा. नए होम‌स्टे पर 1 लाख रुपए तक की मदद भी सरकार की तरफ से मिलेगी, जिसके लिए रिनोवेशन पर 50 हजार और 100 प्रतिशत ब्याज सब्सिडी भी ग्रामीणों को मिलेगी. 

दरअसल, नीति के अनुसार होम-स्टे के लिए घर अपग्रेड करने के लिए 10 लाख रुपए तक की सहायता दी जाएगी. क्योंकि इससे स्थानीय लोग अपने घर को होम-स्टे में बदलकर स्थायी आय अर्जित कर सकेंगे, युवाओं, महिलाओं और स्थानीय कारीगरों के लिए स्वरोजगार व रोजगार के अवसर खुलेंगे. होम-स्टे की मदद से पर्यटक गांव की सादगी, प्राकृतिक सुंदरता, जनजातीय संस्कृति, लोक-कला, हस्तशिल्प, पारंपरिक व्यंजन आदि का अनुभव ले सकेंगे, जिससे स्थानीय संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा. 

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 ग्रामीणों और पर्यटकों को फायदा कैसे

रियल सरगुजिहा फीलिंग: सैलानियों को अब सरगुजा में रियल सरगुजिहा फीलिंग मिल सकेगी. जिस जंगल, पहाड़, गांव, घर खेत खलिहान, आदिवासी संकृति को देखने सैलानी यहां आते हैं. अब वो इन सबमें समाहित होकर उसका आनंद ले सकेंगे, क्योंकि सरकार की इस नीति के बाद सैलानियों को शहर के महंगे एसी वाले होटल में नहीं ठहरना पड़ेगा.

पर्यटकों को मिलेगा होम स्टे का फायदा: होम स्टे के तहत पर्यटक गांव में ही ग्रामीणों के घर में रह सकेंगे. उनका खाना, उनकी चारपाई, खेत खलिहान, कुएं का पानी सहित तमाम लोकल कल्चर का आनंद उठा सकेंगे. सरकार होम स्टे को प्रमोट करने के लिए नीति बना चुकी है. इसे चरण बद्ध तरीके से लागू किया जाएगा. सरकार होम स्टे के लिए प्रोत्साहन राशि और लोन लेने पर ब्याज में भी छूट की योजना बना चुकी है.

पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा: सरगुजा के पर्यटक स्थलों और लोक संकृति पर शोध करने वाले अजय कुमार चतुर्वेदी कहते हैं कि होम स्टे से प्रदेश के दो संभाग बस्तर और सरगुजा के पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा. सरगुजा का पर्यटन, धार्मिक, साहित्यिक सभी दृष्टि से समृद्ध है. यहां रामगढ़ है, डीपाडीह है, मैनपाट, सोमरसोत, तमोर पिंगला अभयारण्य, ओडगी में कूदरगढ़, गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व के कई इलाके हैं.

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बस्तर में होम स्टे कल्चर:  प्रभारी मंत्री ओपी चौधरी ने होम स्टे के सम्बन्ध में पूरी जानकारी दी. उन्होंने कहा कि बस्तर के कुछ गांव में होम स्टे कल्चर विकसित हो चुका है. इसे देखते हुए सरकार ने होम स्टे नीति बनाई है. पर्यटक हमारे घर के एक कमरे में हमारे साथ रहेगा, जो हम खायेंगे वही खायेगा. हमारे खेत बाड़ी घूमेगा. विदेशों में ये कल्चर कई जगह है.

सरकार करेगी मदद: मंत्री ओपी चौधरी ने कहा कि पर्यटन विभाग ने चिन्हांकन का काम शुरू कर दिया है. हम एक कमरे पर एक लाख रुपये प्रोत्साहन देंगे. पहले वर्ष 50 हजार, फिर अगले वर्ष 30 हजार और तीसरे वर्ष 20 हजार दिया जाएगा. आप चाहें तो लोन भी ले सकते हैं. उसमें सरकार इंटरेस्ट सब्सिडी देगी. एक व्यक्ति 6 कमरे तक बना सकता है.

पर्यटकों और ग्रामीणों को होगा फायदा: बहरहाल सरकार की नीति का फायदा सीधे तौर पर पर्यटकों और स्थनीय ग्रामीणों को होगा. गांव के कच्चे के मकान का कमरा किराये पर देकर ग्रामीण पैसा कमा सकेंगे. ना सिर्फ कमरा बल्कि खाना व अन्य सुविधाओं का भी चार्ज वो सैलानियों से कर सकेंगे. सैलानियों के लिए भी ये सुनहरा अवसर होगा, क्योंकि जिस संस्कृति को वो दूर से देखने और फोटो क्लिक करने आते थे, अब वो उसी संस्कृति में रह सकेंगे.

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सैलानियों का खर्च बचेगा: पर्यटक सरगुजा का लोकल जीराफूल, लाकरा की चटनी, पूटू, जंगली साग, कुएं का पानी, चारपाई में पैरावट का बिस्तर जैसे अनुभव को जी सकेंगे. इससे सैलानियों के बजट में भी कमी आयेगी क्योंकि सरगुजा घूमने के लिए वो पहले अंबिकापुर आकर किसी महंगे होटल में ठहरते हैं और फिर यहां से कैब बुक करके घूमने जाते हैं. शाम को वापस आते हैं और अगले दिन फिर निकलते हैं. इस तरह सैलानियों का ट्रेवलिंग और स्टे का खर्च काफी अधिक हो जाता है, लेकिन होम स्टे में वो उसी गांव में रुक सकेंगे, जहां उनको घूमना है.

छत्तीसगढ़ में बढ़ा होम स्टे 

बता दें कि बीते कुछ सालों में छत्तीसगढ़ में भी होम स्टे पर्यटन में तेजी से बढ़ावा आया है, क्योंकि राज्य के बस्तर और सरगुजा संभागों के जंगली इलाकों और ग्रामीण इलाकों में होम स्टे का कल्चर बढ़ा है, बाहर से आने वाले लोग शहर की थकान से दूर गांवों की शांति और सुकून में रहना पसंद करते हैं, ऐसे में छत्तीसगढ़ सरकार भी इस दिशा में काम कर रही है, ताकि पर्यटन के साथ-साथ छत्तीसगढ़ की संस्कृति को भी बढ़ावा दिया जा सके. 

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