इंदौर की बहू की याद में मिसाल बनी मानवता: परिवार ने मुआवजा समर्पित कर बनाया ट्रस्ट

इंदौर
अहमदाबाद विमान दुर्घटना में दिवंगत हुई हरप्रीत कौर, अब उनके नाम पर होने वाले सेवा कार्यों से देवी अहिल्या की नगरी इंदौर में याद की जाएगी। सिख समाज के आठवें गुरु श्री हर किशन साहिब के प्रकाश पर्व के मौके उनके के पिता ने सेवा कार्यों के लिए राम हरप्रीत मेमोरियल ट्रस्ट का गठन कर श्री गुरु सिंघ सभा इंदौर को प्रारंभिक अंशदान के रूप में दो लाख की राशि प्रदान कर इस पुनीत कार्य की शुरुआत कर दी है। साथ ही यह भी कहा है बिटिया की बचत एवं उनका स्वयं के द्वारा दी जाने वाली राशि के अलावा बेटी को एयर इंडिया व अन्य योजनाओं से जितनी भी राशि आएगी उससे जरूरतमंदों की मदद की जाएगी।

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पिता ने की सेवा के कार्य की शुरुआत
संत नगर स्थित गुरुद्वारे में मनाए गए गुरु हरकिशन साहिब के प्रकाश पर्व के मौके पर दिवंगत हुई हरप्रीत कौर के नाम पर सेवा के कार्य की शुरुआत पिता महेंद्रपाल सिंह होरा ने की। उन्होंने श्री गुरुसिंघ सभा के प्रधान हरपाल सिंह भाटिया के हाथों में ट्रस्ट का वो पत्र सौंपा जिसमें प्रारंभिक दो लाख रुपए के अंशदान से शुरुआत करने की लिखित सहमति दी। पिता ने बताया कि उनकी बेटी हरप्रीत की आत्मा सेवा, श्रद्धा और करुणा की प्रतीक थी।
 
सभी मुआवजा राशि ट्रस्ट को होगी समर्पित
बचपन से ही वे गुरमुखी अध्ययन, शबद कीर्तन और सामाजिक आयोजनों में रुचि रखती थीं एवं गुरुद्वारे के सेवा कार्यों में सक्रिय रूप से सहभागी रहती थीं। ऐसे में हरप्रीत की स्मृतियो को समाज कल्याण से जोड़ने के उद्देश्य से ट्रस्ट" की स्थापना की है, जो शिक्षा, स्वास्थ्य और बेटियों के सशक्तिकरण हेतु कार्य करेगा। साथ ही आने वाले समय में एयर इंडिया, टाटा ट्रस्ट, बीमा कंपनियों अन्य माध्यम से कोई भी मुआवज़ा या वित्तीय सहायता प्राप्त होती है, तो वह राशि भी इसी ट्रस्ट को समर्पित की जाएगी।

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सहरानीय है पिता का यह कदम
श्री गुरुसिंघ सभा के अध्यक्ष हरपाल सिंह भाटिया ने बताया कि परिजन गुरुद्वारे आए थे। उन्होंने एक पत्र देकर दो लाख की राशि से ट्रस्ट बनाने की घोषणा की है। इससे महिला एवं जरूरतममंदों बच्चों के लिए शिक्षा सहयता अन्य कार्य किए जाएंगे। उनकी यह पहल प्रेरणा दायी है।

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इंदौर में था ससुराल इसलिए यहां आकर बनाया ट्रस्ट
12 जून 2025 को हुए प्लेन क्रेश में हरप्रीत सदा के लिए अपने परिवार से बिछड़ गईं। उनका ससुराल इंदौर में है। इसीलिए पिता ने ट्रस्ट की शुरुआत बड़ा दिल रखकर इसी शहर से की है, जिससे अहमदाबाद की बिटिया और इंदौर की बहु की याद चिरस्थाई बनी रहे।

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