मुंबई में मराठी के समर्थन में सड़कों पर उतरा हुजूम, मंत्री को दौड़ाया गया

मुंबई
राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना में मराठी विरोध के नाम पर नई जान आ गई है। सालों से कमजोर पड़ा यह संगठन मराठी के नाम पर खुद को मजबूत करने में जुटा है और इसी बहाने उसने मंगलवार को मीरा रोड पर अपनी ताकत दिखाई। मनसे के ऐलान पर उद्धव ठाकरे गुट की शिवसेना के कार्य़कर्ता भी सड़कों पर उतरे। इसके अलावा कई और मराठी संगठनों ने भी इसका समर्थन किया। इसके कारण बड़ी संख्या में लोग जुटे और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। सुबह से ही मीरा भायंदर में पुलिस का सख्त पहरा था और मनसे के कार्य़कर्ताओं को पकड़ कर हिरासत में लिया जा रहा था। इससे गुस्सा और भड़क गया।

पुलिस-प्रशासन की ओर से तमाम बंदिशों के बाद भी हजारों लोग मराठी अस्मिता के नाम पर सड़कों पर उतरे। इन लोगों का कहना था कि आखिर जब प्रवासी व्यापारियों को प्रदर्शन करने की अनुमति दी जा सकती है तो फिर हमें मौका क्यों नहीं। यह पूरा मामला उस घटना के बाद से शुरू हुआ, जिसमें मनसे एक नेता अविनाश जाधव और उनके साथियों ने फूड स्टॉल के मालिक को पीट डाला था। इन लोगों ने उन्हें मराठी न बोलने पर मारा था। इस मामले में अविनाश जाधव को सोमवार को शाम को हिरासत में ले लिया गया था। वहीं व्यापारियों ने प्रदर्शन किया था। मनसे के लोगों का कहना था कि पुलिस व्यापारियों के दबाव में है और मराठियों को उनकी ही धरती पर परेशान किया जा रहा है।

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मनसे ने इसी घटना के विरोध में ठाणे जिले के मीरा भायंदर इलाके में महाराष्ट्र एकीकरण समिति के बैनर तले रैली के आयोजन का ऐलान किया था। बता दें कि इस रैली में हिस्सा लेने के लिए एकनाथ शिंदे सेना के नेता प्रताप सरनाइक भी पहुंचे, लेकिन उन्हें दौड़ा लिया गया और उन पर बोतलें फेंकी गईं। वह यहां के स्थानीय विधायक भी हैं। उन पर हमले से राजनीति और गरमा गई है। रैली को ही रोकने का जब विरोध हुआ तो फडणवीस ने खुद सामने आकर सफाई दी। फडणवीस ने कहा, 'रैली आयोजित करने का कोई विरोध नहीं है। जिस मार्ग के लिए अनुमति मांगी गई थी उसके लिए मंजूरी देना मुश्किल था। पुलिस ने उनसे मार्ग बदलने का अनुरोध किया, लेकिन आयोजक एक खास मार्ग पर रैली आयोजित करने पर अड़े रहे।’

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उन्होंने कहा, 'इससे यातायात बाधित हो सकता है या भगदड़ जैसी स्थिति पैदा हो सकती है। ऐसी स्थिति में पुलिस समझाने और वैकल्पिक मार्ग देने की कोशिश करती है। हम लोकतंत्र में हैं, हर किसी को रैली करने का अधिकार है। अगर वे उचित मार्ग के लिए अनुमति मांगते हैं, तो हम आज और कल भी अनुमति देंगे। एक अन्य संगठन ने पुलिस द्वारा अनुमोदित मार्ग से रैली निकाली, लेकिन ये लोग एक खास मार्ग पर अड़े रहे। देश पर हमलों के दौरान मराठी लोगों ने देश की चिंता की और स्वार्थी नहीं बने रहे। मराठी लोगों की सोच सतही नहीं हो सकती।'

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