ईरान की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद ने विवादास्पद हिजाब और शुद्धता कानून को लागू करने पर रोक लगा दी

तेहरान
इस्लामिक देश ईरान की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद ने विवादास्पद हिजाब और शुद्धता कानून को लागू करने पर रोक लगा दी है। ईरान के स्टैंड में यह अचानक परिवर्तन देशभर में और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो रहे व्यापक विरोध-प्रदर्शनों के बाद आया है। ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन ने इस कानून को अब अस्पष्ट बताते हुए इसमें और सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया है और कहा है कि इसके प्रावधानों पर फिर से विचार करने की जरूरत है। इस कानून में उन महिलाओं और लड़कियों के लिए सख्त दंड का प्रावधान किया गया है, जो अपने बालों, चेहरे, शरीर के अगले हिस्सों या निचले पैरों को पूरी तरह से नहीं ढकती हैं। कानून का उल्लंघन करने वालों पर जुर्माना या उसे 15 साल तक लंबी जेल की सजा दी जा सकती है।

मानवाधिकार संगठनों ने भी की निंदा
बता दें कि एमनेस्टी इंटरनेशनल समेत कई मानवाधिकार संगठनों ने भी इस कानून की निंदा की है। संगठनों ने ईरानी सरकार और अधिकारियों पर दमनकारी और दमघोंटू व्यवस्था को थोपने की कोशिश करने का आरोप लगाया है। हालांकि, राष्ट्रपति चुनाव अभियान के दौरान पेजेशकियन ने भी हिजाब कानून पर असहमति जताई थी और महिलाओं की व्यक्तिगत स्वतंत्रता का सम्मान करने का वादा किया था। हालांकि, ईरान में पहले भी सख्त ड्रेस कोड के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन होते रहे हैं लेकिन इस नए कानून के प्रस्ताव का एक महिला गायिका ने जब विरोध किया और उसे गिरफ्तार किया गया तो देश से लेकर विदेश तक हंगामा मच गया।

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गायिका के ऑनलाइन कन्सर्ट से बढ़ा बवाल
दरअसल, पिछले हफ्ते मशहूर गायिका 27 वर्षीय परस्तू अहमदी ने बिना हिजाब पहने यूट्यूब पर एक म्यूजिकल कन्सर्ट किया। इस दौरान उन्होंने बिना आस्तीन और कॉलर वाली लंबी काली पोशाक पहनी थी, लेकिन हिजाब नहीं पहना था। कार्यक्रम के दौरान अहमदी के साथ चार पुरुष संगीतकार भी थे। उनका यह वीडियो सोशल मीडिया पर तुरंत वायरल हो गया। इससे ईरानी सरकार चिढ़ गई। तुरंत अहमदी और उनके बैंड्स के साथियों को उत्तरी प्रांत मजंदरान की राजधानी सारी शहर में गिरफ्तार कर लिया गया। इस घटना के खिलाफ देशभर में आक्रोश उत्पन्न हो गया। देशव्यापी विरोध-प्रदर्शनों को देखते हुए आखिरकार ईरान सरकार ने एक दिन बाद ही अहमदी और उनके साथियों को रिहा कर दिया और अब इस कानून को लागू करने पर ही रोक लगा दी है।

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बता दें कि 2022 में महसा झिना अमिनी नामक एक युवा कुर्द महिला की मौत के बाद से हिजाब को लेकर ईरान में बहुत तनाव है। कथित तौर पर ड्रेस कोड का उल्लंघन करने के आरोप में हिरासत में लिए जाने के बाद अमिनी की पुलिस हिरासत मौत हो गई थी। इसके बाद से पिछले दो वर्षों में, कई युवा ईरानी महिलाओं ने सार्वजनिक रूप से अपने हिजाब को हटा दिया। इससे सरकार की चुनौतियां बढ़ गई थीं।

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पिछले सप्ताह, ही 300 से अधिक ईरानी अधिकार कार्यकर्ताओं, लेखकों और पत्रकारों ने नए हिजाब कानून की सार्वजनिक रूप से निंदा की थी और इसे 'अवैध और लागू न करने योग्य' करार दिया था। इस समूह ने राष्ट्रपति पेजेशकियन से अपने अभियान के दौरान किए गए वादों को लागू करने का अनुरोध किया था। पेजेशकियन के समर्थकों का मानना ​​है कि नया हिजाब कानून युवा महिलाओं को इसका उल्लंघन करने से हतोत्साहित करने में विफल रहेगा और स्थिति और भी विस्फोटक हो सकती है।

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