जेएसपी बनी भारत की पहली विविधीकृत बड़ी कंपनी जिसे एनसीवीईटी द्वारा अवार्डिंग बॉडी के रूप में मान्यता मिली जिंदल स्टील को कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (MSDE), भारत सरकार के अंतर्गत राष्ट्रीय व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण परिषद (NCVET) द्वारा अवार्डिंग बॉडी के रूप में मान्यता प्रदान की गई है।जिंदल स्टील यह मान्यता प्राप्त करने वाली भारत की पहली विविधीकृत बड़ी कंपनी तथा पहली एकीकृत इस्पात निर्माता कंपनी है।यह मान्यता जेएसपी को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) और राष्ट्रीय क्रेडिट फ्रेमवर्क के तहत उद्योग-उन्मुख स्किलिंग कार्यक्रम तैयार करने और लागू करने की शक्ति प्रदान करती है। इसमें डीकार्बोनाइजेशन, सर्कुलर इकॉनमी और उन्नत तकनीकों पर विशेष ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
रायपुर
जिंदल स्टील ने देश की पहली बड़ी विविधीकृत कंपनी और पहली एकीकृत इस्पात निर्माता कंपनी बनकर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है, जिसे एनसीवीईटी द्वारा अवार्डिंग बॉडी के रूप में मान्यता प्राप्त हुई है। यह उपलब्धि कंपनी की कौशल विकास एवं व्यावसायिक शिक्षा को नए मानक देने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है और इस्पात एवं अवसंरचना क्षेत्र में इसकी नेतृत्वकारी स्थिति को और मजबूत करती है।
एनसीवीईटी और जिंदल स्टील के बीच हुए इस समझौते के तहत जेएसपी को पैन-इंडिया स्तर पर "अवार्डिंग बॉडी" का अधिकार प्राप्त हुआ है। अब जेएसपी उद्योग-उन्मुख मानक तय करने, संरचित स्किलिंग प्रोग्राम लागू करने और भविष्य की कार्यबल तैयार करने की दिशा में तेजी से कार्य कर सकेगी। इसके अंतर्गत तैयार सभी प्रशिक्षण मानक और योग्यताएँ राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के अंतर्गत नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क में मान्यता प्राप्त होंगी।
यह मील का पत्थर शिक्षा और रोजगार के बीच की खाई को पाटने में सहायक होगा और बहु-क्षेत्रीय, परिणाम-आधारित स्किलिंग को बढ़ावा देगा। यह जेएसपी की राष्ट्र निर्माण, अंतर्विषयक क्षमता विकास और हरित ऊर्जा तथा आधुनिक अवसंरचना की दिशा में भारत के संक्रमण के प्रति प्रतिबद्धता को भी रेखांकित करता है। इस ढांचे के अंतर्गत जारी सभी प्रमाणपत्र अधिक विश्वसनीय होंगे और वैश्विक स्तर पर भी मान्यता प्राप्त होंगे, जिससे करियर अवसरों और गतिशीलता में वृद्धि होगी।
जेएसपी के चेयरमैन श्री नवीन जिंदल ने कहा:
“एनसीवीईटी द्वारा ‘अवार्डिंग बॉडी’ के रूप में मान्यता मिलना एक बड़ी जिम्मेदारी है जिसे हम गंभीरता और उद्देश्य के साथ स्वीकार करते हैं। यह हमें उद्योग मानकों को सीधे शिक्षा और कौशल विकास से जोड़ने की शक्ति देता है, ताकि भारत के युवा आवश्यक ज्ञान और अनुशासन प्राप्त कर सकें और कार्यस्थल पर सफल होते हुए राष्ट्र निर्माण में योगदान दे सकें।”