भाषा किसी भी राष्ट्र के लिए उसकी सांस्कृतिक पहचान होती है- योग गुरु महेश अग्रवाल

विश्व हिंदी दिवस – भाषा किसी भी राष्ट्र के लिए उसकी सांस्कृतिक पहचान होती है, राष्ट्रभाषा का सम्मान राष्ट्र की उन्नति एवं विकास के लिए आवश्यक – योग गुरु महेश अग्रवाल

भोपाल

आदर्श योग आध्यात्मिक केंद्र  स्वर्ण जयंती पार्क कोलार रोड़ भोपाल के संचालक योग गुरु महेश अग्रवाल ने कहा कि हर साल 14 सितम्बर  को विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है। हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा है इसका सम्मान करना हम सबका कर्तव्य है, यह हमारी भारतीय संस्कृति के गौरवशाली वैभव, समृद्धि  एवं एकजुटता को भी बताती है, राष्ट्र भाषा किसी भी राष्ट्र की एकता को सुदृढ़ बनाने में उपयोगी होती हैं किसी भी प्रांत का व्यक्ति देश के किसी भी कोने में चला जाय उसे अपने विचार विनिमय में किसी प्रकार की कोई कठिनाई नहीं होगी क्योंकि उस  भाषा को बोलने वाले लोग संपूर्ण देश में विद्यमान रहते हैं। प्रत्येक राष्ट्र की कोई एक भाषा ही राष्ट्र भाषा बनती हैं। प्रत्येक राष्ट्र की अपनी निश्चित भाषा होती है, जो उसकी सबसे प्रमुख पहचान होती है संपूर्ण राष्ट्र उस भाषा, का प्रयोग करता है। संविधान द्वारा उसे मान्यता प्रदान की जाती है इस कारण यह शासन प्रशासन के क्षेत्र में प्रयुक्त की जाती हैं। बिना राष्ट्र भाषा के राष्ट्र में कोई भी कार्य सुनियोजित रूप से नहीं हो सकता तथा भाषा के क्षेत्र में सदैव अराजकता की स्थिति बनी रहती है। हम कह सकते है कि बिना राष्ट्रभाषा के राष्ट्र के सर्वागीण विकास संभव नहीं है। क्योंकि परस्पर विचार विनिमय, संवाद पत्राचार, आपसी समझ में भाषा ही हमारी मदद करती है।

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योग गुरु अग्रवाल ने कहा कि प्रत्येक राष्ट्र के कुछ अपने मानक होते हैं, जैसे, राष्ट्रीय पुष्प, राष्ट्रीय, पशु, पक्षी, फल। उसी तरह राष्ट्र की अपनी भाषा भी होती है। यह भाषा राष्ट्रभाषा कहलाती है। राष्ट्र के इतिहास साहित्य, संस्कृति, उस राष्ट्र की विज्ञान, चिकित्सा, तकनीकी विकास आदि के क्षेत्र में निहित
उपलब्धियों को संग्रहित करने में राष्ट्रभाषा की महती भूमिका है। एक स्वतंत्र देश के लिए स्वयं की एक भाषा होती है जो उस देश का मान-सम्मान और गौरव होती है।  विश्व में कई सारी भाषाएँ बोली जाती है जिसमें हिंदी भाषा का विशेष महत्व है। यह भाषा भारत में सबसे अधिक बोली जाती है और विश्व में सबसे अधिक बोली जाने वाली  भाषाओं  में दूसरा स्थान है। हिंदी सिर्फ एक भाषा का काम ही नहीं करती है।

 विश्व की प्राचीन, समृद्ध और सरल भाषा होने के साथ-साथ हिन्दी हमारी 'राष्ट्रभाषा' भी है। वह दुनियाभर में हमें सम्मान भी दिलाती है। यह भाषा है हमारे सम्मान, स्वाभिमान और गर्व की। भाषा सर्वोत्तम ज्योति हैं- भाषा संसार की सर्वोत्कृष्ट ज्योति है, जो मानव के हृदय के अन्धकार को दूर करती है। यह ज्ञानज्योति ही विश्व की समस्त मानवों का कार्यकलाप सिद्ध करती है। भाषा समाज को एकसूत्र में बाँधती है- भाषा ही वह शक्ति है वह संसार को एकसूत्र में बाँध सके। भाषा समन्वय सूत्र है।
हिंदी भाषा भारत को एकता के सूत्र में बांधती है। भारत में हिंदी के अलावा तेलुगु, तमिल, मलयालम, गुजराती, मराठी, बंगाली, असमी, उर्दू इत्यादि भाषाएं बोली जाती है। इतनी सारी भाषाओं के बावजूद हिंदी का खास महत्व है। भारत में विभिन्न भाषाओं का बोले जाना विविधता है। भारत में विविधता में ही एकता है। हिंदी भाषा की ग्रामर बहुत सरल है जिसे समझना बहुत आसान है। हिंदी में जैसा लिखा होता है, वैसा ही बोला जाता है। किसी भी भाषा की सुंदरता, उसकी सरलता होती है। भाषा जितनी सरल होगी, उतनी ही सुंदर होगी। हिंदी की व्याकरण में सभी तरह के भावार्थ है। मानवीय विचारों को भाषा के रूप में प्रकट करने के लिए हिंदी में काफी शब्दावली है।

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भारतीय हिंदी भाषा में वर्णों की संख्या 52 है। इनमें 11 स्वर और और 41 कि संख्या में व्यंजन है – हिंदी भाषा में स्वर – अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ। और व्यंजन – क, ख, ग, घ …… क्ष, त्र, ज्ञ इत्यादि होते है।
 वर्तमान में गूगल और फेसबुक  जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म भी हिंदी कंटेंट को बढ़ावा दे रहे है। ऑनलाइन सर्वर पर लाखों की संख्या में हिंदी वेबसाइट है।
 हिंदी दिवस के दिन विद्यालयों में कई कार्यक्रम आयोजित किये जाते है। इस दिन हिंदी भाषा का महत्व पर चर्चा की जाती है। हिंदी भाषा पर निबंध, विचार और कविता लेखन होता है। हिंदी दिवस के अवसर पर भारत सरकार राजभाषा कीर्ति पुरस्कार देती है। भारतवासियों को हिंदी भाषा का सम्मान करना चाहिए। हिंदी को सम्मान देना, हमारे लिए गर्व और स्वाभिमान का विषय है। भाषा किसी भी राष्ट्र के लिए उसकी सांस्कृतिक पहचान होती है। हिंदी भारत की पहचान और हमारी संस्कृति है।

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