मध्यप्रदेश हाई कोर्ट का फैसला: पटरियों पर मौत के लिए रेलवे जिम्मेदार, मुआवजा अनिवार्य

जबलपुर
 मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है "यदि रेलवे ने पटरियों तक अनधिकृत पहुंच को रोकने के पर्याप्त इंतजाम नहीं किए तो क्रॉसिंग करते समय हुई मौत के लिए भी मुआवजा भी देना पड़ेगा." इस प्रकार जस्टिस हिमांशु जोशी की एकलपीठ ने रेलवे दावा अधिकरण भोपाल के फैसले को निरस्त कर दिया.

रेलवे दावा अधिकरण के फैसले को चुनौती

एकलपीठ ने अपने आदेश कहा "बच्चे सहित दो महिलाओं की मौत एक अप्रिय घटना के कारण हुई थी और रेलवे प्रशासन पटरियों तक अनधिकृत पहुंच रोकने तथा सुरक्षा सुनिश्चित करने के अपने वैधानिक कर्तव्य में विफल रहा. लापरवाही या अनधिकृत प्रवेश से रेलवे प्रशासन स्वतः ही दायित्व से मुक्त नहीं हो जाता है." मामले के अनुसार सिंगरौली निवासी राम अवतार सहित दो अन्य की तरफ से दायर अपील में रेलवे दावा अधिकरण के फैसले को चुनौती दी थी.

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रेलवे ट्रैक पर 3 लोगों की मौत का मामला

याचिका में कहा गया "रेलवे ही हादसे के लिए जिम्मेदार है." रेलवे दावा अधिकरण ने माना था "रेलवे मुआवजा देने के लिए उत्तरदायी नहीं है, क्योंकि मृतक ट्रेन में नहीं चढ़े थे. ट्रेन की पटरी में आने के कारण उनकी मौत हुई थी." राम अवतार अपने बेटे राजेश (उम्र 3 साल) का मुंडन कराने 16 अप्रैल 2011 में मैहर ले गए थे. इस दौरान 8-10 लोगों का समूह मैहर गया था. लौटते समय रेलवे स्टेशन में बालक राजेश रेलवे की पटरियों पर आ गया था और उसे बचाने के लिए दो महिलाएं भी पटरी पर आ गईं और तीनों ट्रेन की चपेट में आ गई थीं.

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रेलवे दावा प्राधिकरण को मुआवजा के निर्देश

प्राधिकरण ने सुनवाई के दौरान पाया था "समूह के लोग ट्रेन संख्या 51672 सतना-इटारसी पैसेंजर में नहीं चढे़ थे. लोली बाई, इंद्रमती और राजेश (बालक) की दूसरी पटरी से गुजरती हुई गुजरती ट्रेन की चपेट में आने से हुई." रेलवे ने लिखित बयान के माध्यम से दुर्घटना से इनकार किया और कहा "मृतक रेलवे लाइन पार कर रहे थे, तभी गुजरती ट्रेन की चपेट में आ गये." एकलपीठ ने रेलवे दावा अधिकरण को निर्धारित मुआवआ देने के निर्देश जारी किये हैं.

जबलपुर में घोड़ों की मौत के मामले में सुनवाई

एक अन्य मामले में हैदराबाद से जबलपुर लाए गए घोड़ों की मौत के मामले की सुनवाई हाई कोर्ट में हुई. याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया "पिछले माह में कुछ और घोड़ों की मौत हुई, जिसे छुपाया जा रहा है." हाई कोर्ट की चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा तथा जस्टिस विनय सराफ की युगलपीठ ने आरोप को गंभीरता से लेते हुए केयरटेकर सचिन तिवारी को शपथ पत्र पर यह बताने कहा है "वर्तमान में कितने घोड़े बचे हैं और उनका मानसिक व शारीरिक स्टेटस क्या है."

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युगलपीठ ने यह भी बताने कहा है "घोड़ों को स्वस्थ रखने के लिए क्या उपाय किए जा रहे हैं." युगलपीठ ने मामले की अगली सुनवाई 3 दिसंबर को नियत की है. जबलपुर निवासी पशु प्रेमी सिमरन इस्सर की ओर से याचिका दायर की गई थी. 

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