भोपाल
पशुपालन एवं डेयरी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री लखन पटेल ने विगत दिनों आंध्रप्रदेश के "पुंगनूर संरक्षण एवं अनुसंधान केन्द्र, पालमनेर", जिला चित्तूर का भ्रमण किया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने प्रमुख रूप से “पुंगनूर” नस्ल की गायों के पालन पोषण के बारे में जानकारी प्राप्त की तथा मध्यप्रदेश में इसके पालन की संभावनाओं को तलाशा। गायों की यह नस्ल अपने छोटे आकार, कम रखरखाव और तुलनात्मक रूप से अच्छी दूध देने वाली नस्ल के लिए जानी जाती है।
भ्रमण में मंत्री श्री पटेल द्वारा अनुसंधान केन्द्र के संचालक एवं उपस्थित अन्य अधिकारियों से पुंगनूर नस्ल के बारे में विस्तृत जानकारी ली। उन्होंने पालमनेर भेड़ प्रजनन केन्द्र का निरीक्षण भी किया। पालमनेर भेड़ प्रजनन एवं संरक्षण केन्द्र में नेल्लोर प्रजाति की नस्ल का संवर्धन एवं संरक्षण किया जा रहा है। भ्रमण के दौरान उनके साथ पशुपालन एवं म.प्र. कुक्कुट विकास निगम के अधिकारी भी उपस्थित थे।
पशुधन अनुसंधान केंद्र, पालमनेर
पशुधन अनुसंधान केंद्र, पालमनेर, आंध्र प्रदेश मुख्य रूप से गायों की “पुंगनूर” नस्ल को सुधारने और पुनर्जीवित करने का कार्य करता है। यह गाय दुनिया की सबसे छोटी नस्लों में से एक है और मूलत: चित्तूर जिले की प्रजाति है। इस अनुसंधान केंद्र को वर्ष 1967 में पशुपालन विभाग से आंध्रप्रदेश कृषि विश्वविद्यालय को स्थानांतरित कर दिया गया। इस केंद्र पर मूल रूप से पुंगनूर नस्ल के मवेशी हैं। इस नस्ल को यूनाइटेड किंगडम से आयातित केरी बैलों के साथ क्रॉस किया गया था। इन संकर नस्लों ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया और इस क्षेत्र के कृषक समुदाय के बीच लोकप्रिय हो गईं, क्योंकि इनकी दूध की पैदावार बहुत अधिक थी। बाद में, केंद्र को एक मॉडल प्रदर्शन इकाई के रूप में काम करने और पुंगनूर मवेशियों के जर्मप्लाज्म, नेल्लोर भेड़ जोड़ी आदि के बेहतर प्रजनन स्टॉक की आपूर्ति करने के लिए कम्पोजिट पशुधन फार्म के रूप में विकसित किया गया। यहां नस्ल की विशेषताओं, उत्पादकता और प्रजनन प्रदर्शन का अध्ययन करने के लिए पुंगनूर मवेशियों का संरक्षण प्रगति पर है।