मोहम्मद यूनुस का नया कारनामा बांग्लादेशी रुपयों से शेख मुजीबुर रहमान की तस्वीरें हटाई

ढाका
 बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने देश का नया बैंक नोट जारी किया है। जिसमें बांग्लादेश का निर्माण करने वाले शेख हसीना के पिता शेख मुजीबुर रहमान की तस्वीरें हटा दी गईं हैं। नये बैंक नोट रविवार को जारी किए गये हैं। बांग्लादेश, जिसकी आबादी करीब 17 करोड़ है, वहां की अंतरिम सरकार फिलहाल मोहम्मद यूनुस चला रहे हैं, जो शेख हसीना के सबसे बड़े दुश्मनों में से एक हैं। शेख हसीना की सरकार का पतन पिछले साल अगस्त में एक हिंसक छात्र आंदोलन के बाद हुआ था और वो 5 अगस्त 2024 को भागकर भारत आ गईं थीं। शेख हसीना उसके बाद से भारत में ही रह रही हैं। बांग्लादेश में अभी तक शेख हसीना के पिता शेख मुजीबुर रहमान की तस्वीर रुपयों पर होती थी, जिन्होंने 1971 में पाकिस्तान से बांग्लादेश को आजाद करवाया था। साल 1975 में देश में पहली बार सैन्य तख्तापलट की गई और शेख मुजीबुर रहमान समेत उनके परिवार के ज्यादातर सदस्यों की हत्या कर दी गई।

बांग्लादेश बैंक के प्रवक्ता आरिफ हुसैन खान ने समाचार एजोंसी एएफपी को बताया है कि "नई सीरिज और डिजाइन के तहत नोटों में किसी भी नेता की तस्वीर नहीं होगी, बल्कि इसके बजाय प्राकृतिक परिदृश्य और पारंपरिक स्थल प्रदर्शित किए जाएंगे।" आपको बता दें कि बांग्लादेश के रुपयो में अभी तक मुस्लिम राष्ट्र के अलग अलग डिजाइनों के साथ साथ हिंदू और बौद्ध मंदिरों की तस्वीरें भी होतीं थीं। बांग्लादेशी रुपयों में अभी तक बंगाल में आए खतरनाक अकाल की भी तस्वीरें होतीं थीं, जो ब्रिटिश शासन के दौरान आया था, जिसमें लाखों लोगों की मौत हो गई थी। अब रविवार को तीन अलग अलग मूल्यवर्ग वाले नोट जारी किए गये हैं।

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बांग्लादेशी रुपये से हटा शेख मुजीबुर रहमान की तस्वीर
आरिफ हुसैन खान ने कहा कि "नए नोट केंद्रीय बैंक के मुख्यालय से और बाद में देश भर में इसके अन्य कार्यालयों से जारी किए जाएंगे।" आपको बता दें कि शेख मुजीबुर रहमान को "बंगबंधु" के नाम से जाना जाता है, जो बांग्लादेश की स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेता थे। लेकिन मोहम्मद यूनुस ने इतिहास की किताबों के अलावा देश में बाकी जगहों से भी उनके हर निशान को हटाना शुरू कर दिया है। पिछले साल प्रदर्शन के दौरान और बाद में शेख मुजीबुर रहमान की देश भर में मूर्तियां तोड़ दी गईं थीं। कई जगहों पर जेसीबी की मदद से मूर्तियां तोड़ी गईं। नये किताबों में उन्हें राष्ट्रपति नहीं कहा गया है और देश को आजाद करवाने का श्रेय जियाउर रहमान को दिया गया है, जो बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के संस्थापक हैं और जिन्होंने शेख मुजीबुर रहमान की हत्या करवाई थी।

इसके अलावा शेख हसीना के खिलाफ बांग्लादेश में दर्जनों मुकदमे दर्ज किए गये हैं और उनपर हत्या करने के आरोप लगाए गये हैं। बांग्लादेश के प्रॉसीक्यूटर्स ने रविवार को उनके खिलाफ चलाए जा रहे मुकदमों को लेकर कहा कि शेख हसीना ने पिछले साल विद्रोह को कुचलने के लिए प्रदर्शनकारियों के खिलाफ जान बूझकर व्यवस्थित तरीके से हिंसा करवाए, उनकी हत्याएं कीं, जिसमें 1400 से ज्यादा लोग मारे गये। इसके अलावा डोमेस्टिक इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल यानि (ICT) शेख हसीना की अपदस्थ सरकार और उनकी अवामी लीग पाार्टी से जुड़े पूर्व वरिष्ठ लोगों पर मुकदमा चला रहा है। ICT के मुख्य अभियोजक मोहम्मद ताजुल इस्लाम ने अपने शुरुआती भाषण में अदालत को बताया है कि "सबूतों की जांच करने पर, हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि यह एक समन्वित, व्यापक और व्यवस्थित हमला था।” उन्होंने कहा कि “आरोपी ने विद्रोह को कुचलने के लिए सभी कानून प्रवर्तन एजेंसियों और अपने सशस्त्र दल के सदस्यों को लगा दिया था।”

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यूनुस ने क्यों लिया फैसला
यूनुस सरकार के इस फैसले पर आलोचकों का कहना है कि ये मुजीबुर्रहमान और उनके आंदोलन की उस विरासत को कमजोर करने की कोशिश है, जिससे देश को आजादी मिली बै। इसे मुजीब की बेटी शेख हसीना और उनकी पार्टी अवामी लोग को भी कमजोर करने की कोशिश की तरह देखा जा रहा है। ये एक तरह से बांग्लादेशी लोगों के दिल-दिमाग से शेख हसीना के परिवार को दूर करने की कोशिश है।

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यूनुस के नेतृत्व वाली कार्यवाहक सरकार के सत्ता में आने के बाद से मुजीबुर्रहमान के कई प्रतीकों को हटाया गया है। राष्ट्रपति भवन से उनकी तस्वीर हटा दी गई है। शेख मुजीब से जुड़ी छुट्टियां भी रद्द कर दी गई हैं। विरोध प्रदर्शनों में उनकी मूर्तियों को गिराया गया है और दीवारों पर बनी उनकी तस्वीरों को बिगाड़ दिया गया है। इस कड़ी में अब नए नोटों से भी उनकी तस्वीर को हटाया जाएगा।

गौरतलब है कि मुजीबुर रहमान को 15 अगस्त 1975 को मौत के घाट उतार दिया गया था। बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के आने के बाद से यहां पर मुजीबुर रहमान से संबंधित तमाम प्रतीकों को हटा दिया गया है। इनमें राष्ट्रपति निवास पर लगाया गया उनका पोर्टेट भी शामिल है। सिर्फ इतना ही नहीं, मुजीबुर रहमान के नाम पर जारी छुट्टियों को भी खत्म कर दिया गया है। आंदोलन के दौरान कई जगहों से उनकी स्टेच्यू को भी गिरा दिया गया।

गौरतलब है कि बांग्लादेश में पिछले कुछ महीनों से माहौल काफी अराजक है। आंदोलन और हिंसा के बाद शेख हसीना सरकार गिर गई थी। इसके बाद वहां पर मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार है, लेकिन हिंसा का दौर थमा नहीं है। ताजा मामलों में वहां पर हिंदुओं और हिंदू पुजारियों पर हमले किए जा रहे हैं। इसको लेकर भारत ने भी सख्त रुख अपनाया है।

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