इंदौर
प्रसव के बाद प्रसूता के उपचार में बरती लापरवाही डाॅक्टर को महंगी पड़ी। 11 वर्ष चली सुनवाई के बाद जिला उपभोक्ता आयोग ने डाॅक्टर को आदेश दिया कि वह महिला को चार लाख रुपये हर्जाने के रूप में अदा करे। ब्याज सहित यह राशि करीब साढ़े आठ लाख रुपये होती है। आयोग ने माना कि प्रसूति के बाद महिला को रक्तस्राव होने लगा था और उसकी हालत बिगड़ने लगी थी लेकिन डाॅक्टर ने कुछ नहीं किया। मजबूरी में महिला को दूसरे अस्पताल ले जाना पड़ा। इसमें स्वजन के तीन लाख रुपये खर्च हुए। जिला उपभोक्ता आयोग अध्यक्ष बलराज कुमार पालोदा ने यह फैसला सुनाया है।
यह है पूरा केस
धनवंतरी नगर निवासी गौरव महाशब्दे की पत्नी रितुजा का इलाज डॉक्टर नलिनी झंवेरी कर रही थीं। प्रसव पीड़ा होने पर डाक्टर की सलाह पर उन्होंने पत्नी को 25 जून 2023 को अरिहंत अस्पताल में भर्ती कराया। रितुजा ने यहां बच्ची को जन्म दिया। प्रसव के कुछ घंटे बाद ही रितुजा को रक्तस्राव होने लगा। इंजेक्शन देने के बावजूद यह नहीं रूका। इस पर अस्पताल स्टाफ ने डाॅक्टर को सूचना दी। हालत नहीं सुधरने पर गौरव ने एक अन्य डाक्टर को अस्पताल बुलवाया। उन्होंने बताया कि इलाज ठीक से नहीं होने से हालत बिगड़ी है। उन्होंने स्टाफ से तत्काल उपचार बदलने के लिए कहा लेकिन स्टाफ ने नलिनी से पूछे बगैर कोई भी उपचार करने से इंकार कर दिया। इस पर नलिनी को फोन किया गया, लेकिन उन्होंने अस्पताल आने से इंकार कर दिया।
दूसरे अस्पताल में दाखिल किया गया
इस पर स्वजन रितुजा को तत्काल दूसरे अस्पताल ले गए। वे वहां करीब सात दिन भर्ती रहीं। इस उपचार पर परिवार का तीन लाख रुपया खर्च हुआ। वर्ष 2014 में गौरव ने डॉक्टर नलिनी झंवेरी के खिलाफ जिला उपभोक्ता आयोग के समक्ष एडवोकेट रेखा श्रीवास्तव के माध्यम से परिवाद दायर कर दिया। आयोग ने जवाब और तर्कों के आधार पर पाया कि नलिनी की निगरानी में ही मरीज का उपचार चल रहा था। ऑपरेशन का सुझाव भी उन्होंने ही दिया था।