श्रीनगर की नई पहचान: 900 करोड़ के जल मेट्रो प्रोजेक्ट से शिकारा का भविष्य बदलेगा

 श्रीनगर 

डल झील का सन्नाटा, उसके ऊपर तैरता शिकारा जिस पर बैठकर सैलानी झील की लहरों में खो जाते हैं. यही शिकारा, श्रीनगर की पहचान, उसका दिल और उसकी रूह रहा है. इसी पर बैठकर मोहब्बतें शुरू हुईं, कविताएं लिखी गईं और तस्वीरों में कश्मीर की खूबसूरती कैद हुई. लेकिन अब यही झील, वक्त के साथ एक नए दौर में कदम रख रही है. क्योंकि शिकारे के पास अब उसका आधुनिक साथी आ रहा है- हाइब्रिड मेट्रो, जो कश्मीर की झीलों को नई रफ्तार और नई पहचान देने जा रही है.

दरअसल, जम्मू-कश्मीर सरकार और भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण मिलकर 900 करोड़ रुपये की श्रीनगर जल मेट्रो परियोजना शुरू कर रहे हैं.  इसका मकसद है डल झील और झेलम नदी के जलमार्गों को एक आधुनिक, पर्यावरण-हितैषी ट्रांसपोर्ट सिस्टम में बदलना. यह मेट्रो केरल की कोच्चि वाटर मेट्रो से प्रेरित है, जो देश में अपनी तरह की पहली सफल जल मेट्रो है. अब श्रीनगर उसी मॉडल पर चलने जा रहा है, ताकि यहां के लोगों को ट्रैफिक से राहत मिले और सैलानियों को एक नया अनुभव. 

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शिकारे की जगह इलेक्ट्रिक नावें

परंपरागत शिकारों के बीच अब उतरेंगी इलेक्ट्रिक-हाइब्रिड नावें, जो ना सिर्फ प्रदूषण कम करेंगी, बल्कि झील के नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा भी करेंगी. डल झील में 5 रूट और 10 टर्मिनल बनाए जाएंगे, जबकि झेलम नदी पर 2 रूट और 8 टर्मिनल होंगे. यानी कुल 18 जल स्टेशन, जो शहर को एक छोर से दूसरे छोर तक जोड़ेंगे. सोचिए, जहां कभी सैलानी गुलाबों से सजे शिकारे पर बैठते थे, वहीं अब हाइब्रिड मेट्रो की आरामदायक सीटों से वे पूरे श्रीनगर का नजारा देख पाएंगे.
विकास के साथ नई उम्मीदें

ये भी पढ़ें :  देश में शनिवार 10 मई तक 27 एयरपोर्ट बंद, 430 उड़ानें रद, विदेशी एयरलाइंस ने बदले मार्ग नई दिल्ली ऑपरेशन सिंदूर के बाद बदलते हालात को देखते हुए गुरुवार को घरेलू एयरलाइंस ने 430 उड़ानें रद कर दी हैं। जबकि शनिवार 10 मई तक के लिए 27 एयरपोर्ट बंद कर दिए गए हैं। आंकड़ों के हिसाब से रद की गई उड़ाने देश में कुल उड़ानों का तीन प्रतिशत हैं। उड़ानों पर नजर रखने वाले प्लेटफार्म फ्लाइटराडार24 के अनुसार, पाकिस्तान और भारत के पश्चिमी गलियारे के ऊपर का एयरस्पेस नागरिक उड़ानों के लिए तकरीबन खाली है। विदेश मंत्रालय की तरफ से बड़ा एलान उड़ानों के लाइव पाथ और कैंसल के आंकड़ों को जारी करने वाले फ्लाइटराडार24 के अनुसार, ''पाकिस्तान और भारत के पश्चिमी गलियारे का जम्मू-कश्मीर और गुजरात के ऊपर का एयरस्पेस नागरिक उड़ानों के लिए खाली है क्योंकि विमानन कंपनियों ने इसे संवेदनशील क्षेत्र घोषित कर दिया है।'' वहीं, विमानन कंपनियों ने बुधवार को भी 300 से ज्यादा उड़ानें रद कर दी थीं और उत्तरी एवं पश्चिमी भारत में 21 एयरपोर्ट बंद कर दिए गए थे। प्रेट्र के अनुसार, अधिकांश विदेशी एयरलाइंस ने भी एयरस्पेस में प्रतिबंध के कारण पाकिस्तान के ऊपर उड़ानें बंद कर दी हैं। जर्मनी की लुफ्थांसा ने गुरुवार को कहा कि कंपनी ताजा हालात पर लगातार नजर बनाए हुए हैं। सप्ताह में पांच भारतीय शहरों में 64 उड़ानें संचालित करने वाली कंपनी ने कहा कि मौजूदा हालात को देखते हुए लुफ्थांसा अगले आदेश तक पाकिस्तान के एयरस्पेस में नहीं जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप कुछ मार्गों पर भारत समेत एशियाई देशों के लिए जाने वाली उड़ानों का समय बढ़ जाएगा। सभी यात्रियों से निवेदन है कि वे घर से निकलने से पहले उड़ान का समय सुनिश्चित कर लें। ब्रिटिश कंपनी वर्जिन अटलांटिक ने भी पाकिस्तानी एयरस्पेस के ऊपर उड़ानें बंद कर दी हैं, जिसके चलते पूर्वनिर्धारित लंदन-दिल्ली की उड़ानों का मार्ग बदलना पड़ रहा है। हर सप्ताह 35 उड़ानों का संचालन कंपनी भारतीय शहरों के लिए 35 साप्ताहिक उड़ानों का संचालन करती है। कौन से एयरपोर्ट हैं बंद हिंडन, ग्वालियर, श्रीनगर, जम्मू, लेह, चंडीगढ़, अमृतसर, लुधियाना, पटियाला, बठिंडा, हलवारा, पठानकोट, भुंटर, शिमला, गग्गल, धर्मशाला, किशनगढ़, जैसलमेर, जोधपुर, बीकानेर, मुंद्रा, जामनगर, राजकोट, पोरबंदर, कांडला, केसोड़, भुज।

इस परियोजना से न सिर्फ ट्रांसपोर्ट सिस्टम सुधरेगा, बल्कि रियल एस्टेट और पर्यटन पर भी बड़ा असर पड़ेगा. डल झील और झेलम के किनारे जो टर्मिनल बनेंगे, उनके आसपास की जमीनों की कीमतें बढ़ने की उम्मीद है. क्योंकि जहां कनेक्टिविटी बढ़ती है, वहां विकास अपने आप आता है. स्थानीय लोगों के लिए यह रोजगार का नया जरिया भी बनेगा, इसके अलावा नाव संचालन, मेंटेनेंस और स्टेशन सर्विसेज जैसे नए अवसर भी खुलेंगे.

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आने वाला श्रीनगर कैसा होगा?

परियोजना अब अपने शुरुआती लेकिन ठोस चरण में है. अक्टूबर 2025 में इसके लिए समझौता हो चुका है और अब विस्तृत योजना, मंजूरियां और निर्माण का खाका तैयार किया जा रहा है. दिशा बिल्कुल साफ है कि श्रीनगर अब सिर्फ झीलों का शहर नहीं रहेगा, बल्कि जल मेट्रो वाला आधुनिक और पर्यावरण-अनुकूल शहर बनने की राह पर है.

जो शिकारे कभी घाटी की रूह थे, अब हाइब्रिड मेट्रो उसी रूह में नई रफ्तार भरने जा रही है.  झील वही रहेगी, पानी वही होगा, लेकिन पहचान बदल जाएगी. ऐसे में श्रीनगर एक बार फिर अपने नए रूप में दुनिया के सामने खड़ा होगा.

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