एमपी में नए छुट्टियों के नियम: सिंगल फादर को 730 दिन की चाइल्ड केयर लीव, घायल होने पर 2 साल की सैलरी सहित छुट्टी

भोपाल 

प्रदेश सरकार ने 48 साल पुराने सिविल सेवा अवकाश नियम में संशोधन कर दिया है। अब सरोगेट या कमीशनिंग मां (सरोगेसी के माध्यम से पैदा हुई संतान की मां) को मातृत्व और एकल (अकेले) पुरुष शासकीय सेवक को संतान पालन अवकाश मिलेगा।

दत्तक संतान ग्रहण के लिए 15 दिन का पितृत्व अवकाश की पात्रता रहेगी। शिक्षकों को प्रतिवर्ष 10 अर्जित अवकाश मिलेंगे तो सेवानिवृत्ति के बाद अवकाश नकदीकरण में जो अर्जित अवकाश बच जाते हैं, उनका भी नकदीकरण किया जाएगा। यह प्रविधान एक जनवरी 2026 से लागू होंगे। नए नियमों के मुताबिक अब बीमारी और मातृत्व अवकाश लेना ज्यादा सुविधाजनक होगा, वहीं इनके दुरुपयोग पर भी लगाम लगेगी। अधिकारी छुट्टी देने में मनमानी न कर सकें, इसके लिए रोस्टर बनाना अनिवार्य होगा।

सिविल सेवा अवकाश नियम में संशोधन

वित्त विभाग ने अवकाश नियम 2025 अधिसूचित कर दिए हैं। अर्जित अवकाश सेवाकाल में 300 दिन से अधिक नहीं होंगे। प्रदेश में मप्र सिविल सेवा (अवकाश) नियम 1977 लागू था। इसमें वर्तमान स्थितियों को देखते हुए परिवर्तन किए गए हैं।

इससे प्रदेश के साढ़े सात लाख नियमित कर्मचारी लाभान्वित होंगे। संतान पालन अवकाश (चाइल्ड केयर लीव) प्रथम 365 दिन पूर्ण वेतन के साथ मिलेगी। जबकि, दूसरी बार में 80 प्रतिशत वेतन का भुगतान होगा। 18 वर्ष तक के बच्चे के लिए अवकाश स्वीकृत किया जा सकेगा।

सरोगेट और सिंगल पिता को अवकाश

अभी तक दो साल का अवकाश लेने तक वेतन कटौती का प्रविधान नहीं था लेकिन संशोधित नियम में रखा गया है। एक वर्ष में तीन बार से अधिक अवकाश स्वीकृत नहीं किया जाएगा।

एकल महिला को एक कैलेंडर वर्ष (एक जनवरी से 31 दिसंबर) में छह बार अवकाश की पात्रता रहेगी। दत्तक संतान ग्रहण अवकाश की पात्रता उस दत्तकग्राही मां को नहीं होगी, जिसकी दत्तक लेते समय एक से अधिक जीवित संतान हो।
शिक्षकों के लिए अर्जित अवकाश नकदीकरण

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पितृत्व अवकाश पत्नी के प्रसव होने की संभावित तिथि के 15 दिन पूर्व या प्रसव की तारीख से छह माह तक की अवधि में 15 दिनों का स्वीकृत किया जा सकेगा। इस अवधि का वेतन मिलेगा।

सरोगेसी के द्वारा जन्मे संतान के कमीशनिंग (वह पुरुष जो सरगोसी के माध्यम से संतान का पिता होता है) पिता को भी छह महीने के भीतर 15 दिनों का पितृत्व अवकाश की पात्रता रहेगी।

असाधारण अवकाश पर रहने किसी भी प्रकार के अवकाश वेतन की पात्रता नहीं रहेगी। इसके तहत चिकित्सकों को पीजी योग्यता प्राप्त करने के लिए 36 माह का अध्ययन अवकाश मिलेगा। इससे सरकार पर कोई वित्तीय भार नहीं आएगा।
इन पर लागू नहीं होंगे नियम

आकस्मिक, दैनिक दर या अंशकालीन नियोजन में नियुक्त कर्मचारी- आकस्मिक निधि से वेतन पाने वाले कर्मचारी- कार्यभारित स्थापना में नियुक्त कर्मचारी- संविदा पर नियुक्त कर्मचारी

जानिए नए नियमों के 10 बड़े बदलाव

1. साल की शुरुआत में ही खाते में आ जाएगी EL (अर्निंग लीव) यह सबसे बड़ा और सुविधाजनक बदलाव है। अभी तक अर्जित अवकाश (EL) साल भर की नौकरी पूरी होने के बाद कर्मचारी के खाते में दर्ज होता था। अब ऐसा नहीं होगा।

1 जनवरी को 15 EL: साल की शुरुआत में ही 15 दिन की EL खाते में क्रेडिट हो जाएगी।

1 जुलाई को 15 EL: साल के मध्य में फिर 15 दिन की EL जुड़ जाएगी।

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नए कर्मचारियों को भी फायदा: नई जॉइनिंग करने वाले कर्मचारी को भी जॉइनिंग के साथ ही आनुपातिक रूप से EL मिल जाएगी। यह सुविधा काम शुरू करने से पहले ही कर्मचारियों को अवकाश की सुरक्षा देगी।

2. शिक्षकों और प्रोफेसरों को भी मिलेगी 10 दिन की EL अध्यापन कार्य में लगे सरकारी कर्मचारी, जिन्हें ग्रीष्मकालीन अवकाश मिलता है, उन्हें अभी तक अर्जित अवकाश की पात्रता नहीं थी। इससे उन्हें साल के बीच में जरूरी काम आने पर परेशानी होती थी।

अब मिलेगा 10 दिन का अर्जित अवकाश: नए नियमों के तहत अब इन कर्मचारियों को भी साल में 10 दिन का अर्जित अवकाश मिलेगा। 5 दिन की EL जनवरी में और 5 दिन की जुलाई में उनके खाते में जुड़ जाएगी।

4. ड्यूटी पर घायल होने पर 2 साल का विशेष अवकाश प्रदेश में कर्मचारियों और अधिकारियों पर ड्यूटी के दौरान बढ़ते हमलों और दुर्घटनाओं को देखते हुए यह विशेष प्रावधान किया गया है।

स्पेशल मेडिकल लीव: यदि कोई कर्मचारी कर्तव्य पालन करते हुए हमले या दुर्घटना में घायल होता है, तो उसे मेडिकल ऑफिसर की अनुशंसा पर 2 साल तक का विशेष अवकाश मिल सकेगा।

वेतन: इस अवकाश के पहले 180 दिनों में पूरा वेतन मिलेगा। शेष अवधि में आधा वेतन मिलेगा। कर्मचारी चाहे तो इस अवधि में अपनी EL समायोजित कराकर पूरा वेतन ले सकता है। यह छुट्टियां कर्मचारी के अवकाश खाते से नहीं काटी जाएंगी।

5. CL के साथ जुड़ जाएगी मेडिकल लीव अभी तक आकस्मिक अवकाश (CL) के तुरंत बाद मेडिकल लीव लेने पर तकनीकी समस्या होती थी। यदि कोई कर्मचारी बीमार होने पर 1-2 दिन की CL ले लेता है और बाद में उसे मेडिकल लीव की जरूरत पड़ती है, तो उसकी CL बर्बाद हो जाती थी।

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अब मिलेगी राहत: नए नियमों के तहत, कर्मचारी जॉइनिंग के 15 दिन के अंदर अपनी शुरुआती CL को मेडिकल लीव में बदलवा सकेगा। इससे उसकी CL बच जाएगी और पूरी छुट्टी मेडिकल लीव में गिनी जाएगी।

7. प्रोबेशनर्स के लिए भी स्पष्ट हुए छुट्टी के नियम अभी तक प्रोबेशन पीरियड में रहने वाले कर्मचारियों के लिए अवकाश के नियम स्पष्ट नहीं थे।

अब मिलेगी पात्रता: नए नियमों में स्पष्ट कर दिया गया है कि प्रोबेशनर्स को भी नियमानुसार अवकाश की पात्रता होगी। प्रशिक्षु कर्मचारियों को मेडिकल सर्टिफिकेट पर अधिकतम 1 महीने का अवकाश मिल सकेगा।

8. चाइल्ड केयर लीव: दूसरे साल 80% वेतन चाइल्ड केयर लीव के तहत 730 दिनों के अवकाश की पात्रता पहले की तरह ही रहेगी, लेकिन वेतन के नियम में बदलाव किया गया है।

पहले 365 दिन: पूरा वेतन मिलेगा।

अगले 365 दिन: वेतन का 80 प्रतिशत भुगतान होगा।

10. अवकाश अधिकार नहीं, लेकिन मनमानी भी नहीं नए नियमों में यह स्पष्ट किया गया है कि अवकाश अधिकार नहीं है और इसे लोकहित में निरस्त किया जा सकता है। हालांकि, इसका उद्देश्य कर्मचारियों के अवकाश के अधिकार को कम करना नहीं है। अधिकारी छुट्टी देने में मनमानी न कर सकें, इसके लिए उन्हें कर्मचारियों का रोस्टर भी बनाना होगा। कोई भी सरकारी कर्मचारी किसी भी परिस्थिति में 5 वर्ष से अधिक अवकाश पर नहीं रह सकता।

 

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