प्रदेश में नई तबादला नीति जारी, लोकायुक्त केस वालों का नहीं होगा ट्रांसफर

भोपाल

मध्यप्रदेश शासन के राजस्व विभाग ने पटवारियों के अंतर्जिला संविलियन के लिए नई नीति 2025 जारी की है, जिसमें कई नई शर्तें और प्रक्रियाएं निर्धारित की गई हैं। इस नीति के तहत पटवारी अब अपनी गृह तहसील में पदस्थ नहीं हो सकेंगे और एक बार जिला आवंटित हो जाने के बाद उसमें कोई बदलाव भी संभव नहीं होगा। नीति में यह भी उल्लेख है कि यदि संविलियन आदेश जारी होने के 15 दिनों के भीतर पटवारी उपस्थिति नहीं देता है, तो आदेश निरस्त माना जा सकता है। संविलियन प्रक्रिया पर विभाग का निर्णय अंतिम और बाध्यकारी होगा।

पटवारी को एक बार जिला मिलने के बाद उसे उस जिले में उपस्थिति देनी ही पड़ेगी जिसके लिए उसने अप्लाई किया है। उस जिले में भी खाली पद होने की स्थिति में ही ट्रांसफर किया जाएगा। राजस्व विभाग ने ये साफ कर दिया है कि आरक्षण नियमों के अनुसार ही ट्रांसफर किए जाएंगे।

तीन साल बाद तबादलों से हटी रोक

आपको बता दें कि मध्य प्रदेश में आखिरी बार तबादला नीति 2021-22 में लागू की गई थी। उसके बाद अब तक कोई नई नीति नहीं आई है। अब डॉ मोहन सरकार में नई तबादला नीति 2025 लागू होगी। इस ट्रांसफर पॉलिसी को सामान्य प्रशासन विभाग ने तैयार किया है, जिसे कैबिनेट की मंजूरी मिल चुकी है।

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पटवारी परीक्षा 2022 के परिणाम 16 फरवरी 2024 से पहले नियुक्त पटवारी ही सामान्य स्थिति में संविलियन के लिए पात्र होंगे। इसके बाद नियुक्त पटवारी केवल विशेष परिस्थितियों जैसे पति/पत्नी का शासकीय पदस्थापन, गंभीर बीमारी या आपसी आधार पर ही आवेदन कर सकेंगे। संविलियन के बाद जिला कलेक्टर द्वारा तहसील में पदस्थापना की जाएगी, लेकिन गृह तहसील में किसी भी पटवारी की पदस्थापना नहीं की जाएगी।

ऑनलाइन आवेदन करना होगा
आवेदन केवल ऑनलाइन माध्यम से स्वीकार किए जाएंगे। इसके लिए उनको आयुक्त भूअभिलेख को  ऑनलाइन देना होगा। ऑफलाइन आवेदन या दस्तावेज स्वीकार नहीं होंगे। आवेदन में विशिष्ट श्रेणी जैसे चयन का वर्ग एससी, एसटी, ओबीसी, ईडब्ल्यूएस, अनारक्षित एवं उपवर्ग ओपन, महिला, भूतपूर्व सैनिक, दिव्यांग बताना होगा। संविलियन उन्हीं जिलों में होगा, जहां रिक्त पद उपलब्ध होंगे और आरक्षण नियमों एवं जिला रोस्टर का पालन किया जाएगा। एक बार जिला आवंटित हो जाने पर फिर से जिला परिवर्तन की अनुमति नहीं होगी और पटवारी को अनिवार्यतः कार्यभार ग्रहण करना होगा। नवीन जिले में कार्यभार ग्रहण करने के बाद पटवारी की वरिष्ठता उसकी प्रथम नियुक्ति तिथि से मानी जाएगी और विभागीय दायित्व भी वहीं से होंगे।

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तबादले के लिए ऐसे आवेदन कर सकेंगे पटवारी

    तबादले के लिए आवेदन करने वाले पटवारी आयुक्त भू-अभिलेख को ऑनलाइन प्रक्रिया के आवेदन करेंगे।

    आवेदन में अपनी विशिष्ट श्रेणी जैसे चयन का वर्ग एससी, एसटी, ओबीसी, ईडब्ल्यूएस, अनारक्षित तथा उपवर्ग ओपन, महिला, भूतपूर्व सैनिक दिव्यांग की स्थिति बतानी होगी।

    तबादले के लिए कोई ऑफलाइन दस्तावेज स्वीकार नहीं होंगे।
    जिले के पटवारियों के ऑनलाइन आवेदन में दी गई जानकारी का सत्यापन जिला कलेक्टर द्वारा ऑनलाइन ही किया जाएगा।

    आवेदन पत्रों की जांच के बाद संविलियन के लिए पात्र और अपात्र आवेदकों की सूची आयुक्त भू-अभिलेख मप्र ‌द्वारा तैयार की जाकर विभाग को भेजी जाएगी। संविलियन आदेश राज्य शासन के अनुमोदन से आयुक्त भू-अभिलेख द्वारा जारी किए जाएंगे।

संविलयन के लिए इन शर्तों का पालन जरूरी

    जिस जिले में संविलयन चाहा गया है, उस जिले में संबंधित वर्ग के रिक्त पद उपलब्ध होने की स्थिति में ही संविलयन किया जाएगा।

    आरक्षण के प्रावधानों एवं जिला आरक्षण रोस्टर के परिपालन में ही संविलयन किया जा सकेगा।

    आदेश जारी होने के 15 दिन के भीतर पटवारी को संविलयन किये गये जिले में उपस्थिति देनी होगी।

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    जिले के अंदर पदस्थापना जिला कलेक्टर द्वारा की जाएगी परंतु किसी भी पटवारी को उसके गृह तहसील में पदस्थ नहीं किया जायेगा।
    संविलियन आदेश में किसी भी प्रकार के संशोधन की अनुमति नहीं होगी।

    संविलियन पर एक बार जिला आवंटित हो जाने पर पुनः जिला परिवर्तन की पात्रता नहीं होगी।

    प्रशासनिक कारणों से किए गए संविलियन में ही पटवारी ‌द्वारा नए जिले में पदभार ग्रहण करने पर उस जिले की संधारित सूची में पटवारी की वरिष्ठता की गणना उसकी संवर्ग में प्रथम नियुक्ति दिनांक से की जाएगी।

उधर, डीजीपी ने निरस्त किया रीवा आईजी का आदेश डीजीपी कैलाश मकवाना ने रीवा रेंज के आईजी गौरव राजपूत का आदेश निरस्त कर दिया। उन्होंने 1 मई को एसपी रीवा, सीधी, सतना, मैहर, मऊगंज, सिंगरौली को आदेश जारी किया था। कहा था कि चौकी प्रभारियों, सहायक उपनिरीक्षकों के साथ सब इंस्पेक्टरों और निरीक्षकों के कोई भी तबादले बगैर उनके अनुमोदन के नहीं किए जाएंगे।

डीजीपी ने इस आदेश को निरस्त करते हुए कहा है कि यह निर्देश सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी तबादला नीति की कंडिका 8 में तय किए गए प्रावधानों के विरुद्ध है इसलिए आईजी रीवा के निर्देश निरस्त किए जाते हैं।

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