नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने देश में बच्चों के लापता होने से संबंधित एक रिपोर्ट पर गंभीर चिंता जताई है। रिपोर्ट में दावा किया गया था कि भारत में हर आठ मिनट में एक बच्चा लापता हो जाता है। इस पर सुनवाई के दौरान जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और जस्टिस आर. महादेवन की पीठ ने इसे बेहद चिंताजनक बताया।
गोद लेने की प्रक्रिया बेहद कठिन – सुप्रीम कोर्ट
जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि उन्होंने अखबार में पढ़ा है कि इतनी अधिक संख्या में बच्चे गायब हो जाते हैं, और यदि यह सच है तो स्थिति बेहद गंभीर है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि देश में गोद लेने की प्रक्रिया इतनी कठिन और लंबी है कि लोग इसका अवैध विकल्प खोजने लगते हैं, जो स्थिति को और खराब करता है।
केंद्र को 9 दिसंबर तक नोडल अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश
सुनवाई में केंद्र सरकार की ओर से मौजूद अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने राज्यों में नोडल अधिकारी नियुक्त करने के लिए छह सप्ताह का समय मांगा। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इतनी लंबी अवधि देने से इंकार कर दिया और 9 दिसंबर तक प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश दिया।
पहले भी दिए जा चुके हैं निर्देश
14 अक्टूबर को अदालत ने केंद्र सरकार को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को लापता बच्चों के मामलों को देखने के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त करने का आदेश दिया था। साथ ही, इन अधिकारियों के नाम और संपर्क विवरण 'मिशन वात्सल्य' पोर्टल पर उपलब्ध कराने को भी कहा गया था ताकि किसी बच्चे की गुमशुदगी की जानकारी तुरंत साझा की जा सके।
लापता बच्चों के लिए अलग पोर्टल का सुझाव
सुप्रीम कोर्ट पहले ही केंद्र को गृह मंत्रालय के तहत एक विशेष ऑनलाइन पोर्टल बनाने का सुझाव दे चुकी है। अदालत का मानना है कि राज्यों के बीच पर्याप्त समन्वय नहीं होने से बच्चों की तलाश में देरी होती है। एक केंद्रीकृत पोर्टल से यह समस्या काफी हद तक दूर हो सकती है।
NGO ने उठाया था मामला
यह मामला तब सामने आया जब एनजीओ 'गुरिया स्वयंसेवी संस्थान' ने बच्चों की तस्करी और अपहरण के मामलों में कार्रवाई न होने का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट के सामने उठाया। याचिका में बताया गया कि कई राज्यों में बच्चों को अपहरण के बाद बिचौलियों के नेटवर्क के जरिए दूसरे राज्यों में तस्करी किया जा रहा था।


