मराठी एकता पर शिंदे का दलित दांव: आंबेडकर के पोते को किया साथ

मुंबई
मराठी बनाम हिंदी के विवाद के बीच उद्धव ठाकरे और उनके चचेरे भाई राज ठाकरे दो दशक से ज्यादा की दूरी के बाद साथ आए हैं। बीते सप्ताह दोनों ने एक रैली की थी और मंच पर हाथ उठाकर संदेश दिया कि हम साथ-साथ हैं। इस एकता से एकनाथ शिंदे गुट वाली शिवसेना को लेकर सवाल खड़े हुए कि आखिर अब उनका क्या होगा। वजह यह है कि शिंदे सेना भी मराठी कार्ड की राजनीति कर रही है और अब इसी मुद्दे पर ठाकरे बंधु साथ हैं। ऐसे में एकनाथ शिंदे ने भी अब बड़ा दांव चल दिया है। मराठी एकता के बरक्स उन्होंने दलित दांव चल दिया है। बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर के पोते आनंदराज आंबेडकर की पार्टी रिपब्लिकन सेना से हाथ मिला लिया है।

ये भी पढ़ें :  अहमदाबाद प्लेन क्रैश : सड़कों पर जले हुए शव पड़े हैं, जिनकी पहचान तक करना मुश्किल

उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने आनंदराज अंबेडकर की रिपब्लिकन सेना के साथ गठबंधन किया है। शिंदे और अंबेडकर ने एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस कर गठबंधन की घोषणा की। एकनाथ शिंदे ने कहा कि दोनों ताकतें एक साथ आ रही हैं। इसीलिए आज बहुत खुशी का दिन है। उन्होंने कहा, 'सड़कों पर अन्याय के खिलाफ लड़ने वाले दो संगठन आज एक साथ आ रहे हैं। एक है बालासाहेब की शिवसेना और दूसरी है भारत रत्न बाबासाहेब अंबेडकर की रिपब्लिकन सेना। उपमुख्यमंत्री और शिवसेना के प्रमुख नेता एकनाथ शिंदे ने विश्वास जताया कि हम साथ मिलकर काम करेंगे।

उनके बगल में बैठे आनंदराज अंबेडकर ने कहा कि हमारी एकता का निश्चित तौर पर असर दिखेगा। शिंदे ने कहा कि आनंदराज आंबेडकर और मैंने हमेशा कार्यकर्ता के रूप में काम किया है। जब मैं ढाई साल तक मुख्यमंत्री था, तब भी मैं एक आम आदमी था। अब डिप्टी सीएम के रूप में फिर से आम आदमी के लिए समर्पित हो गया हू। उन्होंने कहा कि एक आम आदमी और एक आम कार्यकर्ता होना ही हमारी पहचान है। हमारी प्रतिबद्धता आम आदमी के प्रति है। हमारा रिश्ता आम आदमी से जुड़ा है।

ये भी पढ़ें :  फेड के निर्णय का बाजार पर रहेगा असर, एफआईआई की भूमिका रहेगी अहम

आंबेडकर की वजह से ही मैं बन पाया था सीएम: शिंदे
उन्होंने कहा कि डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के संविधान ने आम आदमी, वंचितों, शोषितों की प्रगति का मार्ग प्रशस्त किया है। मेरे जैसा एक आम आदमी मुख्यमंत्री बन सका। यह बाबासाहेब द्वारा लिखे गए संविधान की वजह से ही संभव हुआ। नरेंद्र मोदी जैसा व्यक्ति प्रधानमंत्री बना। यह शक्ति संविधान की है। बाबासाहेब ने दुनिया के कई संविधानों का अध्ययन करने के बाद अपना संविधान लिखा था। दोनों नेताओं ने ऐलान किया कि शिवसेना और रिपब्लिकन सेना आगामी नगर निगम और जिला परिषद चुनाव मिलकर लड़ेंगे।

ये भी पढ़ें :  केंद्र सरकार ने आज 1 जनवरी 2025 से ‘वन नेशन, वन सब्सक्रिप्शन’ पहल की शुरुआत

शिवशक्ति और भीमशक्ति की एकता का दिया नारा
शिंदे ने शिवशक्ति-भीमशक्ति गठबंधन बनाने की बात की। उनकी कोशिश है कि मराठी वोटों के साथ ही दलित वोटरों को भी साध लिया जाए। बता दें कि भीमराव आंबेडकर के एक और पोते प्रकाश आंबेडकर भी राजनीति में हैं, लेकिन उनका दल अलग है, जिसका नाम है- बहुजन वंचित अघाड़ी।

 

Share

क्लिक करके इन्हें भी पढ़ें

Leave a Comment