सुप्रीम कोर्ट का सख्त निर्देश: हिरासत मौत मामले में पुलिस की लापरवाही बर्दाश्त नहीं, तुरंत गिरफ्तारी हो

भोपाल 

मध्य प्रदेश में पुलिस हिरासत में 26 साल के युवक की मौत के मामले में जिम्मेदार दो पुलिस अधिकारियों की गिरफ्तारी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार इन अधिकारियों की गिरफ्तारी के आदेश की अनदेखी नहीं कर सकती. 

पीठ की अध्यक्षता कर रहे जस्टिस बीवी नागरत्ना ने कहा कि अगर अधिकारी उन्हें गिरफ्तार करने में विफल रहते हैं, तो कोर्ट उन दोनों के खिलाफ आरोप तय कर सकती है. उन्होंने यह भी कहा कि लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों को बर्खास्त किया जाए, ताकि उनके सामने न्याय हो सके.

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कोर्ट को सूचित किया गया कि मई 2025 से दोनों अधिकारियों का वेतन रोक दिया गया है, और SP को आदेश मिल चुका है कि उन्हें निलंबित कर दिया गया है. 

जस्टिस महादेवन की टिप्पणी

जस्टिस महादेवन ने सवाल उठाया कि अधिकारी 15 अप्रैल से अपने पता नहीं लगाया जा सका, जबकि अगस्त में उन्होंने अग्रिम जमानत दाखिल की. उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसी स्थिति बनी रही तो CBI निदेशक के खिलाफ भी अवमानना की कार्रवाई पर विचार किया जा सकता है.

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कोर्ट का अवमानना संबंधी नोट

जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि गिरफ्तारी के निर्देश के बाद अग्रिम जमानत की गुहार करना अपने आप में अवमानना है. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि 15 मई के निर्देश के बावजूद अब तक गिरफ्तारी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है.

आगामी निर्देश और हलफनामा

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कोर्ट ने कहा कि सात अक्टूबर तक आदेश का अनुपालन करते हुए हलफनामा दाखिल किया जाए, और अगर अनुपालन नहीं होता है, तो 8 अक्टूबर को मध्य प्रदेश के DGP भी कोर्ट में उपस्थित होंगे.

 

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