भोपाल आदिवासियों की पारंपरिक औषधीय जानकारी को आधुनिक चिकित्सा में उपयोग करने की राह खुल रही है। भोपाल स्थित पं. खुशीलाल शर्मा आयुर्वेद महाविद्यालय के विशेषज्ञ स्थानीय स्तर पर 'चिपकू' कहे जाने वाले पौधे को पथरी, मूत्र रोग और टीबी के इलाज में असरदार पाया है। महाकोशल अंचल के गोंड और बैगा जनजातीय समूह हजारों वर्षों से इसका इस्तेमाल बुखार और मूत्र रोगों के उपचार में करते रहे हैं। इसके औषधीय गुणों पर शोध कार्य का नेतृत्व कर रहीं द्रव्य गुण विभाग की डॉ. अंजली जैन ने बताया कि उनकी…
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