भोपाल गर्भनाल, गर्भस्थ शिशु के लिए रक्षा कवच का काम करता है. जबकि शिशु का जन्म होने के बाद इस कवच को वेस्टेज समझ के फेंक दिया जाता था, लेकिन एम्स भोपाल के डाक्टर अब इस इस गर्भनाल की झिल्लियों से आंखे खो चुके मरीजों के जीवन में फिर से रोशनी लाने का काम कर रहे हैं. दीपावली के दौरान कार्बाइड गन से घायल 13 लोग आंखों का इलाज कराने के लिए एम्स भोपाल पहुंचे थे. जहां डाक्टरों ने एमनियोटिक मेम्ब्रेन यानि गर्भनाल की झिल्लियों का उपयोग कर उनकी आंखों…
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भोपाल AIIMS में हाईटेक जांच सुविधा शुरू, अब 230 से ज्यादा बीमारियों की एक मशीन से जांच
भोपाल एम्स भोपाल में अब मरीजों को जांच के लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। अस्पताल के जैव रसायन विभाग में कोबास प्रो एडवांस्ड इंटीग्रेटेड क्लिनिकल बायोकेमिस्ट्री एनालाइज़र के जरिए जांच प्रक्रिया को और ज्यादा आधुनिक व तेज बना दिया गया है। यह मशीन प्रति घंटे 2,000 से अधिक टेस्ट करने की क्षमता रखती है, जिससे बड़ी संख्या में मरीजों को समय पर और सटीक रिपोर्ट मिल सकेगी। लगभग 3 करोड़ की लागत वाली यह मशीन मध्यप्रदेश के किसी भी सरकारी अस्पताल में पहली बार स्थापित की गई है। यह…
Read Moreभोपाल एम्स में 22 करोड़ के नए कार्डियक सेटअप से हार्ट मरीजों को बड़ी राहत
भोपाल अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के हार्ट पेशेंट का इलाज पहले से आधुनिक और त्वरित होने वाला है। हृदय रोगियों, गर्भ में बच्चों का हृदय दोष और ऑपरेशन के लिए 6 एडवांस मशीनें आने वाली है। करीब 22 करोड़ रुपए की लागत से एम्स में एक नया कार्डियक सेटअप तैयार किया जाएगा। साथ ही हाई-टेक बाइप्लेन कार्डियक कैथलैब लगाई जाएगी। इस व्यवस्था से इलाज के लिए ज्यादा समय तक इंतजार नहीं करना पड़ेगा और हार्ट अटैक जैसी गंभीर बीमारियों का तत्काल इलाज मिल पाएगा। एम्स के उपसंचालक संदेश जैन…
Read Moreभोपाल एम्स का नया एक्सपेरीमेंट खून की एक बूंद से भी गंभीर बिमारी का चलेगा पता
भोपाल जब शरीर में संक्रमण का स्तर बहुत ज्यादा हो जाता है, तो मरीज का इम्यून सिस्टम बहुत कमजोर हो जाता है. जब शरीर के सभी अंग प्रभावित होते हैं. तो मरीज की मौत भी हो सकती है. रोग की इसी स्थिति को सेप्सिस कहा जाता है. हालांकि इस दुर्लभ बीमारी सेप्सिस के दौरान मरीज के शरीर में स्थित संक्रमण का जल्द से जल्द पता लगाने की जरुरत होती है. जिससे मरीज की जान बचाई जा सके, लेकिन अब तक कोई ऐसी तकनीकी नहीं थी, जिससे 15 से 20 मिनट…
Read Moreभोपाल एम्स और पतंजलि ने समझौता साइन किया, संयुक्त रूप से फैटी लीवर डिजीज पर रिसर्च होगी
भोपाल भोपाल AIIMS और पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन ट्रस्ट के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता (MOU) पर हस्ताक्षर हुए. इस समझौते का उद्देश्य आयुर्वेद, चिकित्सा अनुसंधान और स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देना है. दोनों संस्थाएं संयुक्त रूप से फैटी लीवर डिजीज और एलर्जी जैसी बीमारियों पर क्लिनिकल रिसर्च करेंगी. पतंजलि की ओर से अनुराग वार्ष्णेय और एम्स की ओर से प्रोफेसर डॉ. अशोक कुमार ने संयुक्त रूप से बताया, यह एक सकारात्मक पहल है, जो भारतीय चिकित्सा पद्धतियों को वैज्ञानिक रूप से स्थापित करने की दिशा में बड़ा…
Read Moreभोपाल एम्स में पहली बार होगा ‘बाल किडनी ट्रांसप्लांट’, 3 बच्चे चिन्हित
भोपाल एम्स में हार्ट ट्रांसप्लांट के बाद जल्द मध्यप्रदेश का पहला बाल किडनी ट्रांसप्लांट होने जा रहा है। इसके लिए तीन बच्चों को चिन्हित किया गया है। बच्चों का उनके परिजनों के साथ मैचिंग टेस्ट किया जा रहा है। हाल ही में एम्स को बाल किडनी रोग देखभाल के लिए अंतरराष्ट्रीय श्रियर पुरस्कार मिला है। यह इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ नेफ्रोलॉजी ने बाल किडनी रोग देखभाल में 2018 से 2024 तक कनाडा की मैकगिल यूनिवर्सिटी के साथ सफल साझेदारी के लिए दिया है। जिसे एस भोपाल की ओर से डॉ. गिरीश…
Read MoreBhopal एम्स के डॉक्टर्स ने बिना दिल खोले कर दिया ऑपरेशन, अब हो रही तारीफ
भोपाल 18 वर्ष की उम्र में एक युवक के जीवन में अंधेरा सा छा गया। जरा से काम करने पर ही उसकी सांस फूल जाती थी, हमेशा थकान महसूस होती थी। उसके जीवन पर खतरा मंडरा रहा था। एक उम्मीद लेकर वह भोपाल के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स पहुंचा, जांच में पता चला कि उसके हृदय के वॉल्व के बाहरी हिस्से में लीकेज हो रहा था। जीवन में उजाला बने डॉक्टर एम्स के डॉक्टर्स उसके जीवन में उम्मीद का उजाला बनकर सामने आए। डॉक्टर्स के अनुसार यह एक दुलर्भ…
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