सीएम ब्लॉग भोपाल मध्यप्रदेश आज अपनी स्थापना के 70वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। एक नवंबर 1956 को अस्तित्व में आये मध्यप्रदेश में विकास की नई यात्रा विगत दो दशकों से आरंभ हुई, जो प्रदेश को देश में अग्रणी राज्य बनाने की संभावनाओं तक पहुंच गई है। यह सुखद संयोग है कि आज देवउठनी ग्यारस के पावन अवसर पर राज्योत्सव का आयोजन किया जा रहा है। हमारे तीज, त्यौहार और परंपराएं हमारी संस्कृति का आधार हैं। उत्सव के आनंद से ही भविष्य निर्माण के भाव निर्मित होते हैं। मुझे…
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मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव करेंगे नामकरण पट्टिका का अनावरण, विश्वविद्यालय का 69वां आधारशिला दिवस मनाया जाएगा
उज्जैन सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय अपने 69वें आधारशिला दिवस की तैयारी कर रहा है। यह कार्यक्रम 10 अक्टूबर को आयोजित होगा, जिसमें मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे। मुख्यमंत्री विश्वविद्यालय की नामकरण पट्टिका का अनावरण भी करेंगे। इस अवसर पर विश्वविद्यालय परिसर में एक भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। कार्यक्रम में कार्यपरिषद के सदस्य, विश्वविद्यालय के शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारी और विद्यार्थी उपस्थित रहेंगे। विश्वविद्यालय का नामकरण हाल ही में सम्राट विक्रमादित्य के नाम पर किया गया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 29वें दीक्षांत…
Read Moreमध्यप्रदेश के कण-कण में है सौंदर्य: सीएम यादव
भोपाल भारत का हृदय प्रदेश मध्यप्रदेश अप्रतिम सौंदर्य से समृद्ध प्रदेश है। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि मध्यप्रदेश सर्वाधिक सम्मोहित करने वाला राज्य है। इसके कण-कण में सौंदर्य है। जो एक बार आता है यहां की स्मृतियों के सम्मोहन में बंधकर बार-बार आता है। मध्यप्रदेश में हर आयु के पर्यटकों को आकर्षित करने की क्षमता है। पर्यटन के संबंध में दशकों पहले की अवधारणाएं अब समाप्त हो गई हैं। मध्यप्रदेश के पर्यटन ने अब उद्योग का रूप ले लिया है। हमारी नीतियों और दूरदर्शी निर्णयों से पर्यटन क्षेत्र का…
Read Moreस्वामी विवेकानंद युवा शक्ति मिशनः संवाद, सामर्थ्य और समृद्धि की त्रिवेणी: डॉ. मोहन यादव
भोपाल युवाओं की मेधा, शक्ति को जाग्रत करने वाले स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था, "उठो,जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए" विवेकानंद जी युवाओं को आशा और उम्मीद से देखते थे और युवा पीढ़ी को परिवर्तन का अग्रदूत मानते थे। स्वामी जी के लिये राष्ट्रकवि श्री रामधारी सिंह दिनकर ने अपनी पुस्तक "संस्कृति के चार अध्याय" में लिखा कि "अभिनव भारत को जो कुछ कहना था, वह विवेकानंद के मुख से उद्घोषित हुआ। अभिनव भारत को जिस दिशा में जाना था, उसका स्पष्ट…
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