गांधी सेवा आश्रम बना रोजगार का मंच, चंबल से उत्तराखंड-असम तक 1278 परिवारों को मिली रोज़ी

मुरैना जौरा स्थित गांधी सेवा आश्रम में 53 साल पहले महात्मा गांधी की तस्वीर के सामने 654 डकैतों ने बंदूकें डालकर आत्मसमर्पण किया था। यह आश्रम अब गांधीवादी विचारों की अलख ही नहीं जगा रहा, बल्कि मुरैना से लेकर दूसरे प्रांतों के गरीब परिवारों को रोजगार भी दे रहा है। चंबल से लेकर उत्तराखंड, बिहार और असम तक 1278 परिवारों को तीन दशक से भी ज्यादा समय से कुटीर उद्योगों से जोड़कर रोजी-रोटी मुहैया करवा रहा है। कहां-कहां मिला लोगों को रोजगार आश्रम जौरा से लेकर मुरैना और आसपास के…

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