जबलपुर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआई) में लोकसेवकों के वेतन की जानकारी देना अनिवार्य है। गोपनीयता के तर्क पर इसकी सूचना देने से इन्कार नहीं किया जा सकता। न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने लोकसेवकों के वेतन की सूचना देने से इन्कार करने के खिलाफ दायर एक याचिका पर सुनवाई में यह निर्णय दिया। हाई कोर्ट ने लोकसेवकों के वेतन की जानकारी सार्वजनिक महत्व की है, जिसे गोपनीय नहीं माना जा सकता। पूर्व में जारी आदेश निरस्त…
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MP हाई कोर्ट ने एमडी एमएस कोर्स में दाखिले के लिए नीट पीजी काउंसलिंग के पहले राउंड के परिणाम पर रोक लगाई
जबलपुर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने एमडी एमएस कोर्स में दाखिले के लिए नीट पीजी काउंसलिंग के पहले राउंड के परिणाम घोषित करने पर आगामी सुनवाई तक रोक लगा दी है। हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान यह भी कहा कि 24 नवंबर की रात 12 तक पहले राउंड की काउंसलिंग जारी रखें लेकिन उसका रिजल्ट घोषित नहीं करें। मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस एसए धर्माधिकारी एवं जस्टिस अनुराधा शुक्ला की डिवीजन बेंच ने डीएमई, मप्र सरकार व अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मामले की अगली…
Read Moreहाई कोर्ट में याचिका नर्मदा के किनारे सरकारी जमीन पर वक्फ बोर्ड के दावे-आपत्ति पर सवाल उठाए गए
जबलपुर मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) हाई कोर्ट (MP High Court) में एक याचिका दाखिल की गई है, जिसमें नर्मदा नदी (Narmada River) के किनारे की सरकारी जमीन पर वक्फ का दावा किए जाने पर सवाल उठाया गया है. मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice) सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति विवेक जैन की पीठ ने मामले की प्राथमिक सुनवाई के बाद स्थिति को बनाए रखने का अंतरिम आदेश दिया है. साथ ही, राज्य सरकार और संबंधित पक्षों को नोटिस जारी करते हुए उनसे जवाब मांगा गया है. याचिकाकर्ता ने क्या कहा? नर्मदापुरम के…
Read MoreMP High Court ने कहा पश्चाताप से ग्रस्त युवा में सुधार करने की उम्मीद, मौत की सजा उम्रकैद में बदली
जबलपुर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की जबलपुर बेंच के न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल व न्यायमूर्ति देव नारायण मिश्रा की युगलपीठ ने सागर अंतर्गत बंडा में मासूम बहन से दुष्कर्म के बाद सिर काटकर जघन्य हत्या के बहुचर्चित मामले में सत्र न्यायालय के फैसले को पलट दिया। मामला दुर्लभतम मामलों की श्रेणी में नहीं आता है हाई कोर्ट ने अपने आदेश में साफ किया कि यह मामला दुर्लभतम मामलों की श्रेणी में नहीं आता है, जहां अपीलकर्ता को केवल मृत्युदंड ही दिया जाना उचित है। आरोपित ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया…
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