ईरान में घट रही जनसंख्या, सरकार चिंतित, परिवार बढ़ाने चला रही कई योजनाएं
2051-52 तक ईरान की 32 फीसदी आबादी बुजुर्ग हो जाएगी
तेहरान
ईरान एक प्रमुख इस्लामिक देश है, वर्तमान में जनसंख्या वृद्धि की गंभीर समस्या का सामना कर रहा है। यहां की आबादी बढ़ने की बजाय स्थिर होने लगी है और इसके पीछे कई सामाजिक और आर्थिक कारण हैं। 1980 में एक दंपति के औसतन 5 से 6 बच्चे होते थे, लेकिन अब यह आंकड़ा घटकर 1 से 2 रह गया है। इस स्थिति ने ईरानी सरकार की चिंताएं बढ़ा दी हैं।
वर्तमान में ईरान की कुल आबादी करीब 8.9 करोड़ है, जिसमें से 1 करोड़ बुजुर्ग लोग हैं। विशेषज्ञों का अनुमान है कि 2051-52 तक ईरान की 32 फीसदी आबादी बुजुर्ग हो जाएगी। तेहरान के एक प्रोफेसर ने बताया कि वर्तमान में 31 से 39 साल की आयु के करीब 40 लाख युवा अविवाहित हैं, जो कुल आबादी का करीब पांच फीसदी हैं। इससे साफ होता है कि युवा वर्ग में शादी करने और परिवार बढ़ाने की इच्छाशक्ति में कमी आई है।
इसके पीछे का मुख्य कारण आर्थिक समस्याएं हैं। ईरान में युवाओं ने मान लिया है कि अधिक बच्चे होने से जिम्मेदारियों और आर्थिक बोझ बढ़ता है। इस बीच सरकार ने 1979 की इस्लामिक क्रांति के बाद से परिवार योजना को प्रोत्साहित किया था, जिसका असर साफ दिखता है। पहले, महिलाओं का फर्टिलिटी रेट 6.5 था, लेकिन अब यह घटकर 1.5 फीसदी पर आ गया है। यह स्थिति एक गंभीर समस्या बन रही है, क्योंकि जनसंख्या के संतुलन के लिए 2.1 की फर्टिलिटी रेट की जरुरत होती है।
सरकार ने इस समस्या को देखते हुए कई उपाय किए हैं।
दंपतियों को प्रोत्साहित करने के लिए उन्हें बैंक लोन, प्लॉट और कार जैसी सुविधाएं दी जा रही हैं। हालांकि, इन प्रयासों के बावजूद जनसंख्या वृद्धि की दर में कमी आ रही है। पिछले कुछ सालों में, ईरान में जनसंख्या की वृद्धि की रफ्तार में उल्लेखनीय कमी आई है। 1980 में 4 करोड़ की आबादी अब 9.1 करोड़ हो गई है, लेकिन 2000 के बाद इस वृद्धि की रफ्तार काफी धीमी हो गई है। ईरान के सामाजिक ताने-बाने और आर्थिक स्थिति को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि यदि इस समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो भविष्य में कार्यबल की कमी और आर्थिक विकास में बाधा आ सकती है।