भोपाल और राजगढ़ की सीमा पर पार्वती नदी पर बना 49 साल पुराना पुल रात धंस गया

भोपाल

 भोपाल और राजगढ़ जिलों की सीमा पर स्थित पार्वती नदी पर बना 49 साल पुराना पुल गुरुवार रात अचानक धंस गया। इस घटना के बाद पुल पर वाहनों की आवाजाही रोक दी गई है, जिससे यातायात व्यवस्था पर बड़ा असर पड़ा है। पुल के बंद होने से भारी वाहन अब भोपाल होकर करीब 50 किलोमीटर का चक्कर लगाकर अपने गंतव्य तक पहुंच रहे हैं।

पुल का निर्माण और स्थिति

यह पुल बैरसिया-नरसिंहगढ़ रोड पर स्थित है और 1976 में इसका निर्माण किया गया था। लंबे समय से यह पुल क्षेत्रीय यातायात का महत्वपूर्ण हिस्सा था, लेकिन अब पुल के क्षतिग्रस्त होने के कारण यातायात बाधित हो गया है। पुल धंसने से क्षेत्रीय परिवहन में परेशानी पैदा हो गई है और स्थानीय लोगों को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

घटनास्थल पर प्रशासन की त्वरित प्रतिक्रिया

पुल के धंसने की जानकारी मिलने पर बैरसिया एसडीएम आशुतोष शर्मा गुरुवार रात 9 बजे घटनास्थल पर पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया। एसडीएम ने घटना की गंभीरता को देखते हुए दोनों ओर से बेरिकेडिंग करवा दी और वाहनों को वैकल्पिक रास्तों पर डायवर्ट किया। इसके अलावा, नरसिंहगढ़ पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों ने भी पुल का निरीक्षण किया।

पुल के दोनों ओर पुलिस तैनात की गई है, ताकि यातायात को नियंत्रित किया जा सके और किसी भी तरह की अप्रिय घटना से बचा जा सके। शुक्रवार को एमपीआरडीसी (मध्य प्रदेश सड़क विकास निगम) के एक्सपर्ट्स द्वारा पुल की विस्तृत जांच की जाएगी, ताकि पुल की स्थिति का सही मूल्यांकन किया जा सके और आगे की कार्रवाई की जा सके।

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एसडीएम ने एमपीआरडीसी को भेजा लेटर

बैरसिया एसडीएम आशुतोष शर्मा ने इस घटना के संदर्भ में एमपीआरडीसी के संभागीय प्रबंधक को एक लेटर लिखा है। इस पत्र में एसडीएम ने कहा है कि पार्वती पुल के पिलर के नीचे बड़ा गड्ढा हो गया है, जिससे पुल की संरचना कमजोर हो गई है और इसके चलते जान-माल के नुकसान का खतरा उत्पन्न हो सकता है। उन्होंने इस पुल की क्षतिग्रस्त स्थिति को ध्यान में रखते हुए, नरसिंहगढ़ और बैरसिया के बीच वाहनों की आवाजाही को पूरी तरह से बंद करने की सिफारिश की है, ताकि किसी भी अप्रिय घटना से बचा जा सके।

यातायात की स्थिति

पुल के धंसने के बाद आसपास के इलाकों में वाहनों की आवाजाही बुरी तरह प्रभावित हुई है। भारी वाहन अब वैकल्पिक मार्गों का प्रयोग कर रहे हैं, जिससे उन मार्गों पर भी अतिरिक्त दबाव बढ़ गया है। क्षेत्रीय प्रशासन ने स्थिति को संभालने के लिए अपनी पूरी तंत्र को सक्रिय किया है, लेकिन अभी भी पुल के बारे में अंतिम निर्णय और मरम्मत कार्य की आवश्यकता है।

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एमपीआरडीसी की टीम करेगी पुल का निरीक्षण

शुक्रवार को एमपीआरडीसी (मध्य प्रदेश सड़क विकास निगम) की टीम मौके पर पहुंचकर पुल की स्थिति का बारीकी से निरीक्षण करेगी। टीम यह निर्धारित करेगी कि पुल को कितना नुकसान हुआ है और इसे ठीक करने में कितना समय लगेगा। इसके साथ ही वैकल्पिक मार्गों की व्यवस्था भी की जाएगी ताकि यातायात की परेशानी को कम किया जा सके।

नरसिंहगढ़ से भोपाल के लिए वैकल्पिक मार्ग

पुल के धंसने के बाद नरसिंहगढ़ से भोपाल और अन्य शहरों की यात्रा करने वाले यात्रियों के लिए वैकल्पिक मार्ग का निर्देश दिया गया है। नरसिंहगढ़ के एसडीओपी भूपेंद्र सिंह भाटी ने बताया कि पुल के धंसने के बाद, नरसिंहगढ़ से नजीराबाद जाने वाले वाहनों के लिए यह मार्ग पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। अब, नरसिंहगढ़ से देवगढ़, कुरावर होते हुए भोपाल की यात्रा करनी होगी। इसी प्रकार, नजीराबाद से नरसिंहगढ़ आने वाले वाहनों को भी वैकल्पिक मार्ग से ही यात्रा करनी होगी।

दो साल पहले हुई थी मरम्मत, पिलर में आया था क्रैक

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यह पुल 1976 में निर्मित हुआ था और दो साल पहले इसे मरम्मत की गई थी। हालांकि, अब पुल के पिलर में क्रैक आ जाने के कारण यह धंस गया। यह पुल भोपाल, बैरसिया और विदिशा को नरसिंहगढ़ से जोड़ने वाला महत्वपूर्ण मार्ग है। पुल का धंसना क्षेत्रीय यातायात के लिए एक बड़ी समस्या बन गया है, क्योंकि यह मार्ग राज्य के कई प्रमुख शहरों को जोड़ता है।

यातायात पर पड़ा असर

पुल के धंसने से यातायात व्यवस्था में भारी बदलाव आया है। यात्रियों को अब 50 किलोमीटर अतिरिक्त यात्रा करनी पड़ रही है, जो समय और संसाधनों की बर्बादी के अलावा यात्रा में अतिरिक्त तनाव का कारण बन रहा है। क्षेत्रीय प्रशासन ने यातायात को नियंत्रित करने के लिए दोनों ओर पुलिस तैनात की है और वाहनों को डायवर्ट किया गया है।

आगे की कार्रवाई और मरम्मत

अब प्रशासन और विशेषज्ञ टीम द्वारा पुल की स्थिति का मूल्यांकन किया जाएगा। यदि पुल को मरम्मत की जरूरत होती है तो इस पर काम शुरू किया जाएगा, ताकि जल्द से जल्द यातायात बहाल किया जा सके। वहीं, एसडीएम और स्थानीय अधिकारियों द्वारा सुरक्षा को लेकर जरूरी कदम उठाए गए हैं ताकि कोई अप्रिय घटना न हो।

 

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