आध्यात्मिक डेस्क, न्यूज राइटर, 21 मार्च, 2023
कल से चैत्र नवरात्र की शुरुआत होने वाली है। ऐसे में इस पर्व का क्या महत्व है और इस पर्व को करने से क्या लाभ मिलता है। इसकी जानकारी होना सभी के लिए जरुरी है।
गौरतलब है कि दो तरह का नवरात्र होता है। एक नवरात्र आश्विन के महीने में होता है, जिसे शारदीय नवरात्र कहा जाता है और दूसरा नवरात्र चैत्र के महीने में होता है, जिसे बसंती नवरात्र कहा जाता है। इस चैत्र नवरात्र को मन से करने पर भक्त के मन में जो भी अभिलाषा होती है, माता उसको पूर्ण करती हैं।
22 मार्च से शुरू होने जा रहा है बसंती नवरात्र
नवरात्र के प्रथम दिन कलश स्थापना और विधि-विधान से पंचदेवता, माता का पूजन करके मां दुर्गे दुर्गा का पाठ शुरू होता है।इस वर्ष 22 मार्च से नवरात्र शुरू हो रहा है। 9 दिन में प्रतिदिन मां दुर्गा के सभी रूपों का आह्वान होता है और उनका पाठ सुनाया जाता है। श्री दुर्गा का प्रथम रूप श्री शैलपुत्री हैं। नवरात्र के प्रथम दिन इनकी पूजा और आराधना की जाती है। श्री दुर्गा का द्वितीय रूप श्री ब्रह्मचारिणी, तृतीय रूप श्री चंद्रघंटा, चतुर्थ रूप श्री कूष्मांडा, पंचम रूप श्री स्कंदमाता, षष्ठम रूप कात्यायनी, सप्तम रूप कालरात्रि, अष्टम रूप महागौरी और नवम रूप सिद्धियात्री का है। नवरात्र के नौ दिन मां दुर्गा के इन अलग-अलग रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है।
‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै’ मंत्र का जाप से माता होती है प्रसन्न
‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै’ मंत्र का जाप करने से मां प्रसन्न होती हैं। नवरात्र में इस मंत्र का जाप करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं। माता को नारियल प्रिय है और नवरात्र में नारियल चढ़ाया जाता है। इसके अलावा लाल वस्त्र मां को चढ़ाया जाता है। प्रसाद में फलाहार में फल और केला चढ़ा सकते हैं। इस नवरात्रि में कुछ लोग रामायण का पाठ करते हैं, तो कोई दुर्गा जी का पाठ करते हैं।
चैत्र और शारदीय नवरात्र का मान है बराबर
चैत्र नवरात्र और शारदीय नवरात्र दोनों का मान बराबर है। दोनों में कोई अंतर नहीं है। दोनों ही नवरात्र में माता की ही आराधना की जाती है।