मुंबई
महाराष्ट्र की एनडीए सरकार में ऑल इज वेल है? यह सवाल फिर से गूंजने लगा है क्योंकि एकनाथ शिंदे लगातार ऐसे संकेत दे रहे हैं। पिछले दिनों वह विधानसभा सत्र के बीच में दिल्ली आए थे। यहां उन्होंने अमित शाह और पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। यही नहीं अब मंगलवार को वह प्रदेश कैबिनेट की मीटिंग में नहीं पहुंचे। वह रविवार से जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर में थे, लेकिन उन्हें मंगलवार को कैबिनेट मीटिंग के लिए पहुंचना था। लेकिन मीटिंग में वह मौजूद नहीं रहे। कयासों को जोर इसलिए भी मिल रहा है क्योंकि उनके करीबी मंत्री भारत गोगावाले भी इस बैठक में नहीं पहुंचे।
माना जा रहा है कि एकनाथ शिंदे खुद को और अपने मंत्रियों को नजरअंदाज किए जाने से नाराज चल रहे हैं। भले ही उनके पास फिलहाल विकल्पों की कमी है, ऐसे में साथ छोड़ना मुनासिब नहीं है, लेकिन अंदरखाने नाराजगी बरकरार है। उनकी एक चिंता यह भी है कि देवेंद्र फडणवीस सरकार में शिवसेना से ज्यादा अजित पवार और उनके लोगों को भाव मिल रहा है। गोगावाले को लेकर खबर है कि वह रायगढ़ जिले का प्रभारी मंत्री न बनाए जाने से नाराज हैं। अब तक इस जिले में प्रभारी मंत्री का ऐलान नहीं हुआ है क्योंकि एनसीपी की अदिति तटकरे के नाम पर शिवसेना भड़क गई थी।
इसके बाद अदिति तटकरे का नाम वापस ले लिया गया, लेकिन अब तक भारत गोगावाले या अन्य किसी का नाम तय भी नहीं हुआ। फिर भी इस बीच नाराजगी की एक वजह खड़ी हो गई है। वह यह कि अदिति तटकरे को ही रायगढ़ जिला मुख्यालय में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर मुख्य अतिथि के तौर पर जाने का मौका मिलेगा। वहीं ध्वज फहराएंगी। इससे शिवसेना में नाराजगी बताई जा रही है। शिवसेना का इस जिले में दावा रहा है कि हमारी स्थिति यहां मजबूत है। ऐसे में हमारे नेता गोगावाले को ही जिले का प्रभारी मंत्री घोषित किया जाए। माना जा रहा है कि फिलहाल एकनाथ शिंदे के मीटिंग से दूरी बनाने और गोगावाले के भी ना जाने की यही सबसे अहम वजह है।