जबलपुर व्हीकल फैक्ट्री में डिफेंस कॉन्क्लेव, दुनिया देखेगी भारत की रक्षा ताकत—कॉरिडोर से बदलेगी तस्वीर

जबलपुर
 7 से 9 नवंबर तक जबलपुर में एक डिफेंस कॉन्क्लेव का आयोजन किया जा रहा है. यह आयोजन जबलपुर के व्हीकल फैक्ट्री में होगा. इसमें भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के अलावा निजी क्षेत्र की कंपनियां भी अपने उत्पादों की जानकारी देगी. जबलपुर के जनप्रतिनिधियों का मानना है कि इस आयोजन से जबलपुर के आसपास डिफेंस कॉरिडोर पर भी चर्चा शुरू हो जाएगी.

रक्षा मंत्रालय की कंपनियों के उत्पादों का प्रदर्शन
व्हीकल फैक्ट्री जबलपुर के जनसंपर्क अधिकारी गौरव दीक्षित ने बताया कि, ''7 नवंबर से 9 नवंबर तक जबलपुर के व्हीकल फैक्ट्री के परिसर में एक डिफेंस कॉन्क्लेव का आयोजन किया जा रहा है. इसमें देशभर की रक्षा मंत्रालय की कंपनियों के उत्पादों का प्रदर्शन किया जाएगा. यह आयोजन देश में बड़े शहरों में होता था, लेकिन इस बार यह मौका जबलपुर की व्हीकल फैक्ट्री को मिला है.'' जबलपुर में रक्षा मंत्रालय की कई बड़ी फैक्ट्रियां हैं जिनमें भारतीय सेना की जरूरत के लिए उत्पाद तैयार किए जाते हैं.''

व्हीकल फैक्ट्री खमरिया
व्हीकल फैक्ट्री खमरिया भारत की कुछ बड़ी फैक्ट्री में से एक है. इसमें सेना के उपयोग में आने वाले वाहन बनाए जाते हैं. जैसे सामान्य स्टाफ वाहन, लॉजिस्टिक्स वाहन, बुलेटप्रूफ वाहन, हल्के बख्तरबंद वाहन, माइन प्रोटेक्टेड वाहन और विशेषज्ञ भूमिका वाले वाहन जैसे रॉकेट लॉन्चर, स्व-चालित हॉवित्जर, वाटर बॉवर्स, ईंधन टैंकर, फील्ड एम्बुलेंस, टिपर, बैटरी कमांड पोस्ट, जनरेटर सेट, लाइट रिकवरी वाहन, फील्ड आर्टिलरी ट्रैक्टर, किचन कंटेनर आदि का निर्माण और संयोजन करता है. इनके अलावा कुछ विशेष वहां भी तैयार किए जाते हैं जिनमें शहर की ही दूसरी फैक्ट्री का सहयोग भी लिया जाता है.

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गन कैरिज फैक्ट्री जबलपुर
जबलपुर की फैक्ट्रियां एक दूसरे के सहयोग से चलती है, क्योंकि कुछ सामान एक फैक्ट्री में बनता है तो कुछ दूसरी फैक्ट्री में बनता है. गन कैरिज फैक्ट्री सेना के उपयोग में आने वाले 8/8 ट्रक बना रही है. इन ट्रक्स की खासियत यह होती है कि उनके आठों चकों में ताकत होती है और यह किसी भी विपरीत परिस्थिति में चल सकते हैं.

1. वीएफजे-जीसीएफ 105 मिमी ट्रक-माउंटेड सेल्फ-प्रोपेल्ड गन सिस्टम, 6X6 और 4X4 कॉन्फ़िगरेशन में

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2. वीएफजे-जीसीएफ शारंग टोड गन

3. धनुष हॉवित्जर का निर्माण जीसीएफ में और ट्रैक्टर का निर्माण वीएफजे में किया गया

4. वीएफजे-जीसीएफ 8X8 155 मिमी ट्रक-माउंटेड सेल्फ-प्रोपेल्ड गन सिस्टम

   ऑर्डिनेंस फैक्ट्री खमरिया
ऑर्डिनेंस फैक्ट्री खमरिया भारत में गोला बारूद बनाने वाली सबसे बड़ी फैक्ट्री है. इसमें हजारों की तादाद में अभी भी कर्मचारी काम करते हैं. भारत की तीनों सेनाओं के लिए यहां पर गोला बारूद तैयार किया जाता है. ऑपरेशन सिंदूर में जी L-70 बम ने सबसे ज्यादा तबाही मचाई थी. वह जबलपुर का ही बना हुआ था. रूस की मदद से भी पिकोरा बम बनाया जा रहा है.

ग्रे आयरन फाउंड्री
ग्रे आयरन फाउंड्री यह रक्षा मंत्रालय की एक छोटी फैक्ट्री है, लेकिन इसका काम बहुत महत्वपूर्ण है. रक्षा मंत्रालय में कई ऐसे लोहे के सामानों की जरूरत पड़ती है जो बाजार में नहीं मिलते, इसलिए इन्हें ढालकर बनाया जाता है. इसलिए इस यूनिट को अलग ही तैयार किया गया था. इनके अलावा जबलपुर में कुछ दूसरी छोटी फैक्ट्रियां भी हैं, जिनमें सेना के उपयोग के सामान बनाए जाते हैं. इस कॉन्क्लेव में इन सभी का प्रदर्शन किया जाएगा.

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जबलपुर केंट विधानसभा के विधायक अशोक रोहाणी का कहना है कि, ''इस कॉन्क्लेव के जरिए इस बात पर भी चर्चा होगी कि जबलपुर में एक डिफेंस कॉरिडोर बनाया जाए. जहां रक्षा मंत्रालय के उपयोग में आने वाले कल पुर्जे और हथियार तैयार किया जा सके और इसमें निजी निवेश भी आ सके. जबलपुर की बड़ी फैक्ट्रियां इन छोटे निवेशों के लिए एक अच्छा माहौल बनाती हैं.

जबलपुर में उत्पादित होने वाले रक्षा उत्पादों का बाजार केवल भारत में ही है. इन कंपनियों में बनने वाले सामानों को भारत निर्यात भी करता है और दुनिया के कई देश भारत से यह सामान खरीदते हैं. रक्षा से जुड़ा हुआ सामान बनाना रोजगार का एक बड़ा अवसर बन सकता है. अब देखना है कि इस कॉन्क्लेव के जरिए मध्य प्रदेश क्या फायदा उठा पाता है.

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