प्रधान आरक्षक की पत्नी और बेटी की हत्या में शामिल आरोपी की मदद करने वाला आरक्षक बर्खास्त

सूरजपुर

सूरजपुर थाने में पदस्थ प्रधान आरक्षक तालिक शेख की पत्नी और बेटी की नृशंस हत्या के मामले में पुलिस ने सख्त कार्रवाई करते हुए एक आरक्षक को बर्खास्त कर दिया है। इस हत्याकांड के मुख्य आरोपी और कुख्यात अपराधी जिलाबदर कुलदीप साहू के फरार रहने के दौरान, सूरजपुर में तैनात आरक्षक प्रदीप साहू पर आरोप लगा कि उसने आरोपी को मदद पहुंचाई। जांच में आरोप सही पाए जाने पर सूरजपुर एसएसपी प्रशांत कुमार ठाकुर ने आरक्षक को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया।

जानिए क्या है पूरा मामला

यह घटना 13 अक्टूबर की रात की है, जब प्रधान आरक्षक तालिक शेख की पत्नी और बेटी की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। हत्या के मुख्य आरोपी, बाजारपारा निवासी जिलाबदर कुलदीप साहू, फरार हो गया था। अगले दिन 14 अक्टूबर को मां-बेटी का शव बरामद हुआ, जिसके बाद पुलिस ने कुलदीप साहू की तलाश शुरू की।

ये भी पढ़ें :  भिलाई में आंधी से बिजली कंपनी के कबाड़ में लगी आग, रेलवे क्रॉसिंग के पास पेड़ गिरने से रेल यातायात प्रभावित

आरक्षक पर गंभीर आरोप

जांच में यह सामने आया कि 14 अक्टूबर को, जब गुस्साए लोगों ने कुलदीप साहू का घर जलाया, उस समय आरक्षक प्रदीप साहू ने कुलदीप के सहयोगी आरोपी सूरज साहू की मदद से कुलदीप की मां से घर में रखे 2 लाख रुपये निकलवाए। इस बारे में उसने अपने उच्चाधिकारियों को कोई जानकारी नहीं दी। पुलिस का मानना है कि ये पैसे कुलदीप साहू के फरारी के दौरान उपयोग किए जा सकते थे।  इसके अलावा, आरक्षक प्रदीप साहू ने हत्या के सह आरोपी सूरज साहू को कुलदीप के परिजनों से संपर्क कराया। जांच में पता चला कि आरक्षक ने संतोष साहू को 18 बार फोन किया था।

ये भी पढ़ें :  छत्तीसगढ़ में फैशन शिक्षा को नई उड़ान :मुख्यमंत्री विष्णु देव साय

आरोपों की गंभीरता को देखते हुए आईजी ने मामले की जांच के लिए कोरिया एएसपी मोनिका ठाकुर और बलरामपुर एसडीओपी एम्मानुएल लकड़ा को नियुक्त किया। जांच में यह स्पष्ट हुआ कि आरक्षक प्रदीप साहू ने आरोपी कुलदीप साहू और उसके परिजनों की मदद की थी। सबूत मिलने के बाद सूरजपुर एसएसपी ने आरक्षक को बर्खास्त कर दिया।

ये भी पढ़ें :  ’सुशासन दिवस पर नालंदा परिसर में लगी प्रदर्शनी बनी आकर्षण का केंद्र

इस मामले में पुलिस पर आरोप लगे थे कि वह मुख्य आरोपी से साठगांठ कर रही है। इस वजह से पुलिस की काफी आलोचना हुई। आरक्षक की बर्खास्तगी से पुलिस ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि वह ऐसी लापरवाही और अपराधियों से सांठगांठ को कतई बर्दाश्त नहीं करेगी।

Share

क्लिक करके इन्हें भी पढ़ें

Leave a Comment