आंगनवाड़ी कार्यकर्ता विमला डोहर बनी प्रेरणा

सफलता की कहानी
भोपाल

महिला एवं बाल विकास विभाग की आंगनवाड़ी कार्यकर्ता न केवल पोषण और स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करती हैं, बल्कि समाज में महत्वपूर्ण बदलाव लाने का भी कार्य करती हैं। सतना, मध्यप्रदेश के सोहावल परियोजना के अंतर्गत ग्राम सलैया की आंगनवाड़ी कार्यकर्ता विमला डोहर की कहानी न केवल उनके समर्पण को दिखाती है, बल्कि यह भी बताती है कि कैसे एक कार्यकर्ता समाज में स्वस्थ जीवनशैली और जागरूकता का संचार कर सकती है। एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता का परिश्रम और समाज के प्रति उसकी जिम्मेदारी किसी भी परिवार के जीवन में बड़ा परिवर्तन ला सकती है।

अनीता और उसकी कठिनाइयाँ

अनीता वर्मा, जो सलैया के मिनी आंगनवाड़ी केंद्र की रहने वाली हैं, का जीवन तब और कठिन हो गया जब वह अपने पहले बच्चे के जन्म के तुरंत बाद फिर से गर्भवती हो गईं। उनके पति संजीव, जो एक दिहाड़ी मजदूर हैं, अपने परिवार की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए दिन-रात मेहनत करते थे, पर अनीता की सेहत की गिरावट ने पूरे परिवार को चिंतित कर पहली डिलीवरी के बाद अनीता का शरीर पहले से ही कमजोर था और दूसरी बार गर्भवती होने से उसकी सेहत और खराब हो गई।

ये भी पढ़ें :  बांधवगढ़ में हाथी सफारी की संभावना, पर्यटकों के साथ रच-बस गए जंगली-हाथी

विमला डोहर का प्रयास

आंगनवाड़ी कार्यकर्ता विमला डोहर को अनीता की स्थिति के बारे में पता चला, तो उन्होंने तुरंत अनीता का आंगनवाड़ी में पंजीयन करवाया और उसे नियमित जांच और टीकाकरण के लिए प्रेरित किया। विमला जानती थीं कि केवल ये प्रयास काफी नहीं थे। उन्होंने अनीता के परिवार से मिलकर गर्भधारण से जुड़े जोखिमों और पोषण के महत्व को समझाया। यह विमला के दृढ़ निश्चय का ही परिणाम था कि अनीता के परिवार ने उसकी सेहत का पूरा ख्याल रखा और उसकी स्थिति में निरंतर सुधार होने लगा। विमला डोहर का यह कदम सिर्फ एक स्वास्थ्य सेवा नहीं था, बल्कि एक सामाजिक जागरूकता का प्रतीक भी था। उन्होंने अनीता और उसके परिवार को यह समझाया कि गर्भवती महिलाओं का स्वस्थ होना न केवल उस परिवार के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए महत्वपूर्ण है। विमला का धैर्य और परिश्रम रंग लाया और अनीता ने 4 जनवरी 2024 को एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया।

ये भी पढ़ें :  महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (NAAC) द्वारा मिला "A" ग्रेड

भावनात्मक और सामाजिक पहलू

अनीता के प्रसव के बाद भी विमला ने अपने कर्तव्यों को नहीं छोड़ा। उन्होंने नियमित रूप से अनीता और उसके बच्चे की देखभाल की साथ ही अनीता को नवजात को जन्म के शुरुआती 6 महीने केवल स्तनपान कराने की सलाह दी। अनीता ने विमला की सलाह का पूरी तरह पालन किया। बच्चें को 6 महीने के बाद पोषण युक्त आहार दिया गया। आज, अनीता का बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ है, उसका वजन 8.5 किलो और लंबाई 71 सेंटीमीटर है।

ये भी पढ़ें :  जबलपुर की धरा पर आध्यात्मिक चेतना का आलोक, मानवता और युवा ऊर्जा का दिव्य संगम

आंगनवाड़ी कार्यकर्ता का आभार

अनीता और उसके परिवार ने आंगनवाड़ी कार्यकर्ता विमला डोहर का आभार प्रकट किया और यह महसूस किया कि सही मार्गदर्शन और पोषण ही अच्छी सेहत का आधार है। इस तरह की कहानियां न केवल आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के कार्य की महत्ता को दर्शाती हैं, बल्कि यह भी साबित करती हैं कि समाज के कमजोर वर्गों को सशक्त बनाने में उनका योगदान कितना महत्वपूर्ण है।

 

Share

क्लिक करके इन्हें भी पढ़ें

Leave a Comment