नेहा शर्मा, नई दिल्ली, 18 जनवरी, 2023
पूर्वोत्तर के तीन राज्यों त्रिपुरा, मेघालय और नगालैंड के विधानसभा चुनावों का एलान आज हो सकता है। तीनों राज्यों की विधानसभा का कार्यकाल मार्च में खत्म हो रहा है। 2018 की तरह इस बार भी तीनों राज्यों में विधानसभा चुनाव एक चरण में हो सकता है। तीनों ही राज्यों में 60-60 सदस्यीय विधानसभा है।
नगालैंड विधानसभा का कार्यकाल 12 मार्च, मेघालय विधानसभा का 15 मार्च और त्रिपुरा विधानसभा का कार्यकाल 22 मार्च को समाप्त हो रहा है। त्रिपुरा में इस वक्त भाजपा की सरकार है। वहीं, नगालैंड में एनडीपीपी के नेफ्यू रियो मुख्यमंत्री हैं। मेघालय में एनपीपी के कोनराड संगमा की सरकार है। दोनों राज्यों में भाजपा सत्ताधारी गठबंधन का हिस्सा है।
2018 में भी 18 जनवरी को ही हुआ था चुनाव तारीखों का एलान
2018 में तीनों राज्यों के विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान 18 जनवरी को हुआ था। तब इन तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव दो चरणों में संपन्न हुए थे। पहले चरण में 18 फरवरी को त्रिपुरा में वोटिंग हुई थी। वहीं, दूसरे चरण में 27 फरवरी को मेघालय और नगालैंड में वोट पड़े थे। 3 मार्च 2018 को तीनों राज्यों के चुनाव नतीजे आए थे।
2018 में कैसे रहे थे तीनों राज्यों के नतीजे?
त्रिपुरा: 2018 के त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जीत दर्ज की थी। भाजपा ने यहां 25 साल से शासन कर रहे लेफ्ट को बेदखल किया था। बिप्लब देब राज्य मुख्यमंत्री बने। 2022 में भाजपा ने देब की जगह माणिक साह को राज्य की कमान सौंपी। अब साह पर भाजपा को सत्ता में वापसी कराने की जिम्मेदारी होगी।
हालांकि, बीते कुछ महीनों से राज्य में सियासी उथलपुथल जारी है। भाजपा नेता हंगशा कुमार त्रिपुरा इस साल अगस्त में अपने 6,000 आदिवासी समर्थकों के साथ टिपरा मोथा में शामिल हो गए। वहीं, आदिवासी अधिकार पार्टी भाजपा विरोधी राजनीतिक मोर्चा बनाने की कोशिश कर रही है। इसके साथ ही कई नेता पार्टियां बदल रहे हैं।
मेघालय: 2018 में राज्य में नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) और भाजपा गठबंधन की सरकार बनी थी। कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी। हालांकि, बहुमत के आंकड़े से दूर रह गई थी। चुनाव में अलग-अलग लडे़ एनपीपी-भाजपा ने गठबंधन किया। एनपीपी के कोनराड संगमा मुख्यमंत्री बने। यहां भी चुनाव से पहले राजनीतिक उथल-पुथल जारी है। यहां तक की गठबंधन सरकार चला रही एनपीपी और भाजपा के बीच भी दरारें दिख रही हैं। हाल ही में दो विधायक एनपीपी से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो गए। कहा जहा रहा है कि 2018 की तरह ही इस बार भी दोनों दल अलग-अलग चुनाव लड़ेंगे।
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नगालैंड: 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले सत्ताधारी नगा पीपुल्स फ्रंट (NPF) में दो टुकड़ों में बंट गई थी। बागियों ने नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (NDPP) बनाई। पार्टी के बड़े नेता और राज्य के मुख्यमंत्री रहे नेफ्यू रियो बागी गुट के साथ चले गए। चुनाव से पहले NPF ने भाजपा से गठबंधन तोड़ लिया। भाजपा और NDPP ने मिलकर चुनाव लड़ा। NDPP को 18 तो भाजपा को 12 सीटों पर जीत मिली। गठबंधन सत्ता में आया और नेफ्यू रियो मुख्यमंत्री बने। नेफ्यू रियो के सीएम बनने के बाद 27 सीट जीतने वाली NPF के ज्यादातर विधायक NDPP में शामिल हो गए। इससे NDPP विधायकों का आंकड़ा 42 पर पहुंच गया। वहीं, NPF के केवल चार विधायक बचे। बाद में NPF ने भी सत्ताधारी गठबंधन को समर्थन दे दिया। मौजूदा समय में राज्य विधानसभा के सभी 60 विधायक सत्तापक्ष में हैं।