भोपाल में

भोपाल में "खाद्य हानि और भोजन की बर्बादी कम करने" पर एप्को और डब्ल्यूआरआई इंडिया की हुई कार्यशाला

एप्को और डब्ल्यूआरआई इंडिया द्वारा 'खाद्य हानि और भोजन की बर्बादी कम करने” पर एक दिवसीय कार्यशाला हुई

'खाद्य हानि और भोजन की बर्बादी कम करने” के लिये शहर-स्तरीय रणनीतियों को विकसित करने के लिए विस्तृत विचार-विमर्श हुआ

भोपाल

भोपाल में शुक्रवार को एप्को और डब्ल्यूआरआई इंडिया द्वारा 'खाद्य हानि और भोजन की बर्बादी कम करने” पर एक दिवसीय कार्यशाला हुई। इसमें संबंधित विभागों, समाज सेवी संगठन, संस्थानों के हितधारकों और प्रतिनिधियों के साथ 50 से अधिक प्रतिनिधि शामिल हुए। प्रदेश के प्रमुख शहरों में आयोजित होने वाले नीतिगत संवादों की श्रृंखला के पहले भाग में पर्यावरण नियोजन और समन्वय संगठन (एप्को) ने वर्ल्ड रिसोर्सेस इंडिया (डब्ल्यूआरआई इंडिया) के सहयोग से कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला में 'खाद्य हानि और भोजन की बर्बादी कम करने” के लिये शहर-स्तरीय रणनीतियों को विकसित करने के लिए विस्तृत विचार-विमर्श हुआ।

कार्यशाला में खाद्य हानि और भोजन की बर्बादी के कारणों और प्रभावों के बारे में जागरूकता बढ़ाना, नगर-स्तरीय खाद्यान्न पूर्ति की पद्धतियों और चुनौतियों को मापना, सर्वश्रेष्ठ पद्धतियों का प्रदर्शन करना और पूरे राज्य में खाद्यान्न हानि और भोजन की बर्बादी की समस्या से निपटने की उचित कार्यवाही और योग्य रणनीतियां तैयार करने पर चर्चा हुई। इस श्रृंखला में भोपाल के बाद जबलपुर, ग्वालियर और उज्जैन में भी नगर स्तरीय नीतिगत संवाद आयोजित करने की कार्य योजना बनाई गई है। नीतिगत संवादों का उद्देश्य पारस्परिक शिक्षा को बढ़ावा देना तथा खाद्य हानि और खाद्य अपव्यय से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए जनमानस के व्यवहार में सार्थक परिवर्तन लाना है जिससे खाद्यान्न के नुकसान को प्रभावी ढंग से रोका जा सके।

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भोपाल नगर निगम आयुक्त हरेन्द्र नारायण ने कहा कि “खाद्य हानि और भोजन की बर्बादी आज हमारे लिए एक बड़ी चुनौती है। आपूर्ति श्रृंखला में भोजन की हानि को कम करना भोपाल नगर निगम के लिए एक मुख्य प्राथमिकता है। खाद्य अपशिष्ट को प्रभावशाली तरीके से कम करने के लिए उपभोक्ताओं के सक्रिय प्रयासों, होटल, रेस्तरां और कार्यक्रम आयोजकों जैसे ठोस अपशिष्ट को स्रोत पर ही छाँटकर एवं प्रबंधित करने की आवश्यकता है।

डब्ल्यूआरआई इंडिया के वरिष्ठ फेलो एवं पूर्व मुख्य सचिव आर. परशुराम ने प्रतिभागियों से कहा कि भोपाल शहर की स्थानीय चुनौतियों और प्राथमिकताओं की पहचान करके शहर भर में भोजन की हानि और भोजन की बर्बादी को कम कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि इसके लिये पर्यावरणीय, मानव स्वास्थ्य और स्वच्छता पर सकारात्मक प्रभाव हो उनकी पहचान कर सभी स्तर पर इसे शहर में अपनाना होगा। परशुराम ने कहा कि नगर पालिक निगम के नेतृत्व में सिविल सोसायटी, गैर सरकारी संगठनों, व्यावसायिक दुकानों और सेवा करने वाले संगठनों को जोड़कर हितधारकों के साथ क्रियान्वित किया जाये।

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खाद्य हानि एवं खाद्य अपव्यय भारत के लिये महत्वपूर्ण चिंताजनक विषय है क्योंकि इसके व्यापक स्तर पर आर्थिक, सामाजिक एवं पर्यावरणीय प्रभाव पड़ते हैं। वर्ष-2022 की नाबार्ड कंसल्टेंसी सर्विसेज (नैबकॉन्स,) की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर साल करोड़ों रूपयों की खाद्य हानि होती है। भारत में भोजन की बर्बादी की मात्रा को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है, लेकिन यूनाइटेड नेशंस एनवॉयरमेंट प्रोग्राम (यूएनईपी) की फूड वेस्ट़ इंडेक्स रिपोर्ट-2024 में लगाये गये अनुमान के अनुसार हर साल प्रति व्यक्ति 55 किलोग्राम भोजन बर्बाददी करता है। बढ़ते शहरीकरण और उपभोग के तरीकों दृष्टिगत भोजन के अपव्यय की यह चुनौती और भी बढ़ने होने की आशंका है।

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भोजन, भूमि एवं जल, कार्यक्रम निदेशक डॉ. रुचिका सिंह ने कहा कि खाद्य पदार्थों की हानि और बर्बादी किसान के खेत से शुरू होती है। ऐसे में इस समस्या के समाधान के लिये नीति निर्धारकों, व्यापारियों, रिटेलर्स, होटलों, रेस्टोरेंट्स, किसानों और सिविल सोसाइटी संगठनों जैसे सभी हितधारकों को आपसी सामंजस्य से काम करने की जरूरत है। डब्ल्यूआरआई इंडिया और एप्को का यह सहयोगात्मक प्रयास जागरूकता पैदा करने, भोपाल में शहरीय-स्तर पर खाद्य हानि और भोजन की बर्बादी को कम करने के तरीकों की पहचान करने की दिशा में एक उल्लेखनीय कदम है।

भोपाल में इसी तरह की पहल के तहत आयोजित कार्यक्रम में कृषि, उद्यानिकी, मंडी बोर्ड, फ़ूड सेफ्टी, पर्यटन, लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग और मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों एवं विभिन्न नागरिक कल्याण संगठनों, शोध संस्थाओं, गैर-सरकारी संगठनों, आईआईएफएम भोपाल और इंडियन फेडरेशन ऑफ क्यू्लिनरी एसोसिएशन के प्रतिनिधियों तथा विभिन्न होटल के शेफ ने भाग लिया।

 

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