प्रशासनिक डेस्क, न्यूज राइटर, रायपुर
आदिवासी बहुल राज्य छत्तीसगढ़ में एक आदिवासी अफसर न्याय की आस में बीते 16 माह से शासन से गुहार लगा रहा है। पर सुनने वाला कोई नहीं। नतीजतन इनका स्वास्थ्य ख़राब हो गया, इनकी स्थिति मरणासन्न तक हो गई थी, पर सिस्टम ने बिना गलती के ऐसी प्रक्रिया में इन्हें उलझाया कि अब ये अफसर राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, विभाग के मंत्री रविंद्र चौबे समेत विभाग के सारे अफसरों से अनुनय विनय करने न्याय पाने के अभिलाषी हैं।
राज्य में जल संसाधन विभाग के एक अफसर की निलंबन के 15 महीने बाद भी बहाली नहीं हो पाई है, जिससे ये अफसर काफी परेशान और पीड़ित हैं।
हैरत की बात तो ये है कि जल संसाधन विभाग के बड़े-बड़े अधिकारियों को बहाली के निर्देश दे दिए गए हैं, बावजूद इसके अभी तक उमाशंकर राम की बहाली नहीं हो पाई है ।
राज्य में इस मामले में जल संसाधन विभाग के उच्च अधिकारी भी अपनी जांच रिपोर्ट विभाग को सौंप चुके हैं। कार्यपालन अभियंता उमाशंकर राम के निलंबन मामले में जांच के लिए विभाग ने जांच अधिकारी नियुक्त किया था। इन जांच अधिकारियों ने अपनी रिपोर्ट भी उच्चाधिकारियों को भेज दी है, फिर भी अभी तक निलंबन की बहाली नहीं की गयी है। पीड़ित अधिकारी उमाशंकर राम ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र भेजकर न्याय दिलाये जाने की मांग की है।
बिना गलती कीमत चुका रहे हैं राम
दरअसल, 5 मई 2022 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बलरामपुर रामानुजगंज विकासखंड रामचन्द्रपुर अंतर्गत ग्राम कामेश्वर नगर में भेंट मुलाकात कार्यक्रम में पहुंचे थे। यहां नागरिकों ने भू-अर्जन मामले की शिकायत की थी। इस पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सिचाई विभाग के कार्यपालन अभियंता को मंच से ही निलंबित करने की घोषणा की थी। इसके बाद विभाग ने कार्यपालन अभियंता उमाशंकर राम को निलंबित कर दिया था। इसमें सबसे मजेदार बात यह रही कि भेंट मुलाकात कार्यक्रम के डेढ़ माह पूर्व ही स्थानांतरित होकर उमाशंकर राम अंबिकापुर आ गये थे और यहां उन्होंने कार्यभार संभाल लिया था।
बलरामपुर जिले में तैनाती के दौरान भू अर्जन मामले की जिम्मेदारी भी उमाशंकर राम के पास नहीं थी। फिर भी उमाशंकर राम को निलंबित कर दिया गया। निलंबन की अवधि के 15 माह का समय बीत जाने के बाद भी अभी तक उनकी बहाली नहीं हो पाई है।
अलग-अलग अधिकारी के लिए नियम अलग क्यों?
दरअसल, अपने बहुप्रतीक्षित भेंट मुलाकात कार्यक्रम में सीएम भूपेश बघेल ने कई अधिकारियों को निलंबित किया था। लेकिन, उनमें से कई अधिकारियों के निलंबन वापस ले लिए गए हैं। जबकि, उमाशंकर राम की निलंबन समाप्ति नहीं की गई है। अफसर उमाशंकर राम ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल एवं सचिव जल संसाधन विभाग को पत्र भी लिखा है। जिसमें कहा गया है कि जब नगरीय निकाय विभाग द्वारा सीएमओ वन विभाग के डीएफओ मनीष कश्यप, बीएस भगत एवं रेंजर बारले का निलंबन 5 माह में रद्द कर दिया गया लेकिन 11 माह बाद भी जल संसाधन विभाग के कार्यपालन अभियंता उमाशंकर राम का निलंबन वापस नही लिया गया है, जिसके कारण उनकी पदोन्नती अटकी हुई है। उनके साथ कार्य करने वाले कार्यपालन अभियंता प्रभारी, अधीक्षण यंत्री के पद पर पदोन्नत हो चुके हैं। ऐसे में इस अफसर को उम्मीद है कि राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और विभागीय मंत्री रविंद्र चौबे, विभाग के आला अधिकारी इनकी गुहार अवश्य सुनेंगे।