मोटर वाहन उद्योग का कुल जीएसटी में अब 14-15 प्रतिशत का योगदान: सियाम अध्यक्ष

नई दिल्ली
भारतीय मोटर वाहन उद्योग ने वित्त वर्ष 2023-24 में 20 लाख करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर लिया और अब देश में संग्रहित कुल जीएसटी में इसका योगदान 14-15 प्रतिशत है।

‘सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स’ (सियाम) के अध्यक्ष विनोद अग्रवाल ने  यहां 64वें वार्षिक एसीएमए सत्र में कहा कि मोटर वाहन क्षेत्र देश में प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रोजगार सृजन में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है।

अग्रवाल ने कहा, ‘‘भारतीय मोटर वाहन उद्योग ने वित्त वर्ष 2023-24 में 20 लाख करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर लिया…हम देश में एकत्र कुल माल एवं सेवा कर (जीएसटी) में करीब 14-15 प्रतिशत का योगदान दे रहे हैं।’’

उन्होंने कहा कि मोटर वाहन उद्योग देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 6.8 प्रतिशत के मौजूदा स्तर से अधिक योगदान देगा। अग्रवाल ने कहा कि केवल वृद्धि संख्या ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि प्रौद्योगिकी में बदलाव भी उतना ही महत्वपूर्ण है।

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वाहन उद्योग संगठन के अध्यक्ष ने कहा, ‘‘हम तीसरा सबसे बड़ा यात्री वाहन बाजार, सबसे बड़ा दोपहिया तथा तिपहिया बाजार और तीसरा सबसे बड़ा वाणिज्यिक वाहन बाजार बन गए हैं। वह भी ऐसे समय में, जब देश 2047 तक ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य को हासिल करने की ओर अग्रसर है।’’

अग्रवाल ने कहा कि मोटर वाहन उद्योग और भी तेजी से बढ़ने तथा देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए तैयार है। मोटर वाहन उद्योग ने आयात पर निर्भरता कम करने के उद्देश्य से स्थानीय उत्पादन के लिए 50 महत्वपूर्ण घटकों की पहचान की है। अग्रवाल ने कहा कि सियाम ने एसीएमए के साथ मिलकर स्वदेशी विनिर्माण को बढ़ाने की यात्रा शुरू की है और स्वैच्छिक रूप से स्थानीयकरण बढ़ाने के लक्ष्य निर्धारित किए हैं।

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अग्रवाल ने यहां एसीएमए के वार्षिक सत्र में कहा, ‘‘हम 2019-20 के आधार स्तर से 2025 तक आयात सामग्री को 60 प्रतिशत से घटाकर 20 प्रतिशत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसमें पांच वर्षों में 20,000 से 25,000 करोड़ रुपये तक की कमी का लक्ष्य रखा गया है। हमने पहले दो वर्षों में आयात में 5.8 प्रतिशत की कमी के पहले चरण को बेहतरीन तरह से हासिल किया है।’’

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इस सत्र में ‘ऑटोमोटिव कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन’ (एसीएमए) की अध्यक्ष श्रद्धा सूरी मारवाह ने कहा कि उद्योग मोटर वाहन मिशन योजना के तीसरे संस्करण की प्रतीक्षा कर रहा है। उन्होंने कहा कि उद्योग को विशेष रूप से कौशल अंतर को दूर करने और अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता मानकों को बनाए रखने में विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

मारवाह ने कहा, ‘‘इसलिए, शैक्षणिक संस्थानों के साथ सहयोग और कौशल विकास में निवेश आवश्यक है। इसके अलावा, उद्योग सहयोग भी उतना ही महत्वपूर्ण है।’’ उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक घटकों और सेमीकंडक्टर चिप की बढ़ती मांग रणनीतिक गठबंधन की आवश्यकता को रेखांकित करती है।

 

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