​असम में राहुल गांधी के खिलाफ ​असम में गैर जमानती FIR, 3 दिन पहले दिया था विवादित बयान

गुवाहाटी
 विपक्ष के नेता राहुल गांधी अपने हालिया बयान को लेकर मुश्किल में पड़ गए हैं। अब उनके खिलाफ असम में एफआईआर दर्ज हुई है। उन्होंने कहा था कि भाजपा और आरएसएस ने हर एक संस्थान पर कब्जा कर लिया है, और अब हम भाजपा, आरएसएस और भारतीय राज्य से लड़ रहे हैं। गुवाहाटी के पान बाजार पुलिस स्टेशन में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।

राहुल गांधी ने यह बयान 15 जनवरी, 2025 को दिल्ली के कोटला रोड में कांग्रेस पार्टी के नए मुख्यालय के उद्घाटन के दौरान दिया था। एफआईआर बीएनएस की धारा 152 और 197 (1) डी के तहत भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्यों के लिए दर्ज की गई है। यह एक संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध है।

13 जनवरी को राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ प्रमुख भागवत ने कहा था कि राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा को प्रतिष्ठा द्वादशी के तौर पर मनाया जाना चाहिए। भारत का 'सच्चा स्वतंत्रता' दिवस मानना चाहिए। राहुल ने 15 जनवरी को नए कांग्रेस मुख्यालय इंदिरा भवन के उद्घाटन में भागवत के बयान पर कहा- भाजपा, RSS ने हर संस्था पर कब्जा किया है। अब हम BJP-RSS और इंडियन स्टेट से लड़ रहे हैं।

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भागवत के बयान पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा "मैंने पेपर में पढ़ा कि मोहन भागवत ने कहा कि सच्ची स्वतंत्रता तब मिली जब राम मंदिर बना। PM मोदी और उन्होंने मिलकर राम मंदिर उद्घाटन किया।
मोदी समझते हैं कि उन्हें 2014 में आजादी मिली क्योंकि वो प्रधानमंत्री बने थे। ये शर्म की बात है। आजादी मिलने के बाद भी वो इसे स्वीकार नहीं कर रहे हैं क्योंकि वे लड़े नहीं और जेल नहीं गए।

नेशनल सिक्योरिटी के लिए खतरे का आरोप

शिकायतकर्ता, मोनजीत चेतिया ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी के बयान ने अनुमेय मुक्त भाषण की सीमाओं को पार कर लिया और सार्वजनिक व्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा पैदा कर दिया। चेतिया ने दावा किया कि राहुल गांधी के शब्द राज्य के अधिकार को खत्म करने का एक प्रयास थे, जो एक खतरनाक कहानी गढ़ रहे थे जो अशांति और अलगाववादी भावनाओं को भड़का सकता था।

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मोनजीत ने कहा कि यह घोषणा करके कि उनकी लड़ाई भारतीय राज्य के खिलाफ है आरोपी ने जानबूझकर लोगों के बीच विध्वंसक गतिविधियों और विद्रोह को उकसाया है। चेतिया ने यह भी सुझाव दिया कि राहुल गांधी की टिप्पणी बार-बार चुनावी विफलताओं से हताशा से प्रेरित थी।

'राहुल गांधी के बयान से भारत की एकता खतरे में'

मोनजीत ने कहा कि विपक्ष के नेता के रूप में राहुल गांधी की जिम्मेदारी है कि वे लोकतांत्रिक संस्थाओं में जनता का विश्वास बनाए रखें। इसके बजाय, उन्होंने झूठ फैलाने और विद्रोह भड़काने के लिए अपने मंच का दुरुपयोग करना चुना। भारत की एकता और संप्रभुता खतरे में पड़ गई। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक तरीकों से जनता का विश्वास हासिल करने में असमर्थ होने के कारण, आरोपी अब केंद्र सरकार और भारतीय राज्य के खिलाफ असंतोष भड़काने की कोशिश कर रहा है। यह व्यवहार विशेष रूप से चिंताजनक है, क्योंकि विपक्ष के नेता के रूप में उनकी भूमिका लोकतांत्रिक संस्थाओं में जनता का विश्वास बनाए रखने की जिम्मेदारी के साथ आती है।

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मोनजीत ने कहा कि आरोपी ने झूठ फैलाने और विद्रोह भड़काने के लिए अपने मंच का दुरुपयोग करना चुना, जिससे भारत की एकता और संप्रभुता खतरे में पड़ गई। उन्होंने ने शिकायत की कि राहुल गांधी की टिप्पणी भारतीय राज्य की अखंडता और स्थिरता के लिए एक सीधी चुनौती है, जिसके लिए बीएनएस की धारा 152 के तहत तत्काल कानूनी कार्रवाई की आवश्यकता है।

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