आध्यात्मिक डेस्क, न्यूज राइटर, 16 जनवरी, 2024
अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर विधवत पूजा अनुष्ठान आज से शुरू होने वाला है। सबसे पहले प्रायश्चित पूजा से प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम की विधवत शुरुआत होगी। बता दें कि सुबह 9:30 बजे से पूजन पद्धति शुरू होगी, जो लगभग अगले 5 घंटे तक चलेगी। इसमें यजमान प्रायश्चित पूजन से पूजा की शुरुआत करेंगे।
क्या होती है प्रायश्चित पूजा
प्रायश्चित पूजा पूजन की वह विधि होती है, जिसमें शारीरिक जिसमें शारीरिक, आंतरिक, मानसिक और बाह्य इन तीनों तरीके का प्रायश्चित किया जाता है। जानकारों के मुताबिक वाह्य प्रायश्चित के लिए 10 विधि स्नान करते हैं। इसमें पंच द्रव्य के अलावा कई औषधीय व भस्म समेत कई सामग्री से स्नान करते हैं।
गोदान भी प्रायश्चित का आधार
एक और प्रायश्चित गोदान भी होता है और संकल्प भी होता है। इसमें यजमान गोदान के माध्यम से प्रायश्चित करता है। कुछ द्रव्य दान से भी प्रायश्चित होता है, जिसमें स्वर्ण दान भी शामिल है।
कौन करता है प्रायश्चित पूजा
किसी पुनीत कार्य को करने के लिए अनुष्ठान या यज्ञ किया जाता है। उसमें बैठने का अधिकारी यजमान ही होता है। यह कर्म यजमान को करना होता है। पंडित को सामान्यतः नहीं करना पड़ता है, लेकिन इस तरह के प्रायश्चित कर्म को यजमान को करना होता है। इसके पीछे मूल भावना यह है कि जितने भी तरीके का पाप जाने अनजाने में हुआ हो उसका प्रायश्चित किया जाए, क्योंकि हम लोग कई प्रकार की ऐसी गलतियां कर लेते हैं, जिसका हमें अंदाजा तक नहीं होता, तो एक शुद्धिकरण बहुत जरूरी होता है। इसको हम पवित्री करण भी कह सकते हैं।
कितना समय लगेगा
प्रायश्चित पूजन में कम से कम डेढ़ से 2 घंटे लगेंगे और विष्णु पूजन में भी इतना ही वक्त लगेगा। मतलब पूजा विधि आज सुबह 9:30 बजे शुरू होगी और लगभग 5 घंटे तक पूजा अर्चना का सिलसिला चलता रहेगा। 121 ब्राह्मण इस पूजा अर्चना को करेंगे।
एक नजर में जानें कब क्या होगा?
16 जनवरी से पूजन की प्रक्रिया आरंभ हो जाएगी। 17 जनवरी को श्रीविग्रह का परिसर भ्रमण और गर्भगृह का शुद्धिकरण। 18 जनवरी से अधिवास प्रारंभ। दोनों समय जलाधिवास, सुगंध और गंधाधिवास भी होगा। 19 जनवरी को प्रातः फल अधिवास और धान्य अधिवास होगा। 20 जनवरी की सुबह में पुष्प और रत्न व शाम को घृत अधिवास का कार्यक्रम होगा। 21 जनवरी की सुबह शर्करा, मिष्ठान और मधु अधिवास व औषधि और शैय्या अधिवास किया जाएगा। 22 जनवरी को मध्य दिवस में रामलला के विग्रह की आंखों से पट्टी हटायी जाएगी और उन्हें दर्पण दिखाया जाएगा।