राष्ट्रीय बाल रंग में स्कूल के बच्चों को भारत की विविध संस्कृति को जानने का मिलेगा मौका

भोपाल

राष्ट्रीय बाल रंग का प्रति वर्ष भोपाल में होना देशभर में मध्यप्रदेश को गौरवान्वित करता है। यह एक ऐसा मौका होता है, जब देश के विभिन्न प्रांतों के बच्चे अपने राज्यों की संस्कृति को समेटे प्रतिभा का प्रदर्शन भोपाल में करते हैं। यह विचार शुक्रवार को निदेशक इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय प्रो. अमिताभ पांडे ने बाल रंग के शुभारंभ समारोह में व्यक्त किये। कार्यक्रम में प्रदेश के विभिन्न संभागों से आये एक हजार से अधिक और विभिन्न प्रांतों के बच्चे मौजूद थे।

निदेशक प्रो. पांडे ने कहा कि प्रति वर्ष बाल रंग में बच्चों के आने से मानव संग्रहालय में रौनक आ जाती है। तीन दिवसीय समारोह में बच्चे अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हैं। प्रतियोगिता में बच्चों में टीम भावना भविष्य में उनको जिम्मेदार नागरिक बनाने में काफी मददगार साबित होती है। उन्होंने कहा कि देश की एकता विभिन्न राज्यों की संस्कृतियों के सौहार्द मिलन से मजबूत होती है। प्रो. पांडे ने बच्चों को विभिन्न राज्यों में अधिक से अधिक मित्र बनाने की सलाह भी दी। उन्होंने कार्यक्रम के आयोजन के लिये स्कूल शिक्षा विभाग को बधाई दी।

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संचालक लोक शिक्षण डी.के. कुशवाह ने बताया कि बाल रंग बच्चों में नयी ऊर्जा पैदा करता है। उन्होंने कहा कि बाल रंग में लगने वाली प्रदशर्नी की थीम वर्ष 2047 में विकसित भारत रखी गयी है। स्वागत संबोधन में शिक्षा विभाग के अधिकारी अरविन्द कुमार चौरगड़े ने बताया कि पहले दिन प्रदेश के विभिन्न संभागों के बच्चे लोक संस्कृति पर आधारित नृत्यों और विविध कार्यक्रमों की प्रस्तुतियां देंगे। बाल रंग में 21 और 22 दिसम्बर को 17 राज्यों सहित 5 केन्द्र शासित प्रदेश के करीब 10 हजार बच्चे सहभागिता करेंगे।

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विविध गतिविधियां

बाल रंग में स्कॉउट कैम्प, विजन-2024 पर केन्द्रित सजीव प्रदशर्नी, विभिन्न राज्यों के व्यंजनों के स्टॉल लगाये गये हैं। बाल रंग की सबसे खास बात यह है कि यहां प्रदेश के विभिन्न प्रांतों की संस्कृति की दर्शाने के लिये राज्यों की स्टॉल लगाये गये हैं। इन स्टॉलों में उन राज्यों के पुरातत्व स्थल, लोक संस्कृति, त्यौहार, मंदिर, पारंपरिक वेश-भूषा देखने को मिलेगी। केरल राज्य के पंडाल में भोपाल के जवाहर चौक स्थित कस्तूरबा स्कूल की बालिकाओं ने मॉडल के जरिये वहां की संस्कृति को दिखाने का प्रयास किया है। यहाँ पर केरल का प्रसिद्ध पद्मनाभस्वामी मंदिर का मॉडल प्रदर्शित किया गया है।

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प्राचार्य श्रीमती उषा भदौरिया और श्रीमती शालिनी श्रीवास्तव ने बताया कि केरल राज्य में ओणम का त्यौहार पारंपरिक रीति-रिवाजों और विशेष वेश-भूषा के साथ बनाया जाता है। बाल रंग में तात्कालिक भाषण, लोक गीत, शास्त्रीय नृत्य, सुगम संगीत, सामुहिक लोक नृत्य, दिव्यांगों की साहित्यिक एवं सांस्कृतिक प्रतियोगिताएं, वेद पाठ, नृत्य नाटिका, योग जैसी अनेक प्रतियोगिताएं होंगी। बाल रंग में 21 और 22 दिसम्बर को प्रात: 10 बजे से शाम 5 बजे तक आयोजन होंगे।

 

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