हाईकोर्ट ने भजनलाल सरकार से 6,759 ग्राम पंचायतों के चुनावों के स्थगन को लेकर सख्त रुख अपनाया

जयपुर

राजस्थान हाईकोर्ट ने भजनलाल सरकार से 6,759 ग्राम पंचायतों के चुनावों के स्थगन को लेकर सख्त रुख अपनाया है। अदालत ने सरकार से स्पष्ट रूप से पूछा है कि राज्य में पंचायत चुनाव आखिर कब कराए जाएंगे? जस्टिस इंद्रजीत सिंह की खंडपीठ ने इस संबंध में दायर जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं।

 दरअसल, जस्टिस इंद्रजीत सिंह की खंडपीठ ने इस मामले में दायर जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई करते हुए सरकार को निर्देश दिया कि 4 फरवरी 2025 के आदेश की पालना करते हुए पंचायत चुनाव का स्पष्ट शेड्यूल प्रस्तुत किया जाए। अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख 7 अप्रैल 2025 तय की है।

याचिकाकर्ता ने सरकार के जवाब को बताया अपूर्ण
याचिकाकर्ता गिरिराज सिंह देवंदा की ओर से पेश अधिवक्ता प्रेमचंद देवंदा ने अदालत में आपत्ति जताई कि सरकार ने पिछले आदेशों के बावजूद पंचायत चुनावों की कोई स्पष्ट समय-सीमा तय नहीं की है। उन्होंने कहा कि सरकार को कोर्ट के आदेश का अनुपालन करना चाहिए था, लेकिन इसके हलफनामे में किसी निश्चित चुनाव कार्यक्रम का उल्लेख नहीं किया गया।

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सरकार ने चुनाव स्थगित करने के लिए दिए तीन तर्क
राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में प्रस्तुत अपने जवाब में चुनाव स्थगन को उचित ठहराने के लिए तीन प्रमुख कारण बताए हैं। पहला तो ये कि प्रदेश में नगरीय निकाय और पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव एक साथ कराने पर विचार किया जा रहा है। इसके लिए एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया जाएगा, जो यह अध्ययन करेगी कि एक साथ चुनाव कराने से धन, श्रम और समय की कितनी बचत होगी और इससे स्थानीय निकायों को कैसे सशक्त किया जा सकता है।

वहीं, दूसरा तर्क बताया कि पिछली सरकार ने कई नए जिले बनाए थे, जिनमें से 9 जिलों को वर्तमान सरकार ने समाप्त कर दिया। अब पूरे प्रदेश में पंचायतों का पुनर्गठन और नगरीय निकायों का परिसीमन किया जा रहा है, इसलिए चुनावों को अभी स्थगित किया गया है। इसके अलावा सरकार का कहना है कि उसने राजस्थान पंचायत राज अधिनियम, 1994 की धारा 95 के तहत प्रशासकों की नियुक्ति की है। यह प्रावधान वैकल्पिक है, जिससे सरकार यह तय कर सकती है कि प्रशासकों की नियुक्ति कैसे की जाए।

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बताते चलें कि हाईकोर्ट का रुख अब और सख्त हो सकता है, क्योंकि सरकार ने पूर्व आदेशों का स्पष्ट अनुपालन नहीं किया है। यदि अगली सुनवाई 7 अप्रैल को सरकार चुनावों की कोई निश्चित तिथि प्रस्तुत नहीं करती, तो कोर्ट द्वारा कड़ा रुख अपनाया जा सकता है।

याचिकाकर्ताओं का आरोप- संविधान का उल्लंघन
याचिकाकर्ताओं के वकील प्रेमचंद देवंदा का कहना है कि राज्य सरकार ने 16 जनवरी 2025 को एक अधिसूचना जारी कर 6,759 पंचायतों के चुनाव स्थगित कर दिए, जो संविधान के अनुच्छेद 243ई, 243के और राजस्थान पंचायत राज अधिनियम 1994 की धारा 17 का उल्लंघन है। उन्होंने तर्क दिया कि सरकार ने लोकतंत्र की सबसे छोटी इकाई और ग्रामीण संस्थाओं को अस्थिर कर दिया है और राज्य में ग्राम पंचायतों के चुनाव रोककर लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन किया है।

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सरपंचों को प्रशासक बनाने का फैसला विवादों में
सरकार ने जनवरी में चुनाव कराने की जगह मौजूदा सरपंचों को ही प्रशासक नियुक्त कर दिया। पंचायतों में प्रशासन को सुचारू रूप से चलाने के लिए सरपंचों की सहायता हेतु एक प्रशासकीय समिति गठित की गई, जिसमें उप सरपंच और वार्ड पंच सदस्य शामिल होंगे। यह मॉडल भाजपा शासित मध्य प्रदेश की तर्ज पर लागू किया गया है, जहां पहले भी इसी तरह से सरपंचों को प्रशासक नियुक्त किया गया था। हालांकि, इस फैसले के बाद विपक्ष और पूर्व पंचायत प्रतिनिधियों ने कड़ी आपत्ति जताई है।

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