पहलगाम में हमले के बाद भारत के साथ आए ये मुस्लिम मुल्क, अलग-थलग पड़ा पाकिस्तान, अब सहमा

नई दिल्ली
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में मंगलवार को आतंकवादियों की गोलीबारी में 26 लोगों की मौत हो गई है। मृतकों में ज्यादातर पर्यटक हैं। यह 2019 में पुलवामा हमले के बाद घाटी में सबसे घातक हमला है। इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान स्थित प्रतिबंधित लश्कर-ए-तैयबा के सहयोगी ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) ने ली है। अमेरिका, रूस और चीन समेत दुनियाभर के देशों ने इस कायराना हमले की निंदा की है। अरब जगत ने भी कश्मीर में आतंकी हमले की निंदा की है और कहा है कि वह भारत के साथ मजबूती से खड़ा है।

कुवैत के क्राउन प्रिंस सबा खालिद अल-हमद अल-सबाह ने बुधवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को "पहलगाम में पर्यटकों को निशाना बनाकर किए गए आतंकी हमले में हुई दुखद मौत पर" संवेदना व्यक्त की। बयान में कहा गया कि क्राउन प्रिंस ने पीड़ितों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की। कुवैत के अलावा सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने भी पहलगाम हमले पर एक बयान जारी किया है और कहा है कि वह दुख की घड़ी में भारत के साथ खड़ा है।
सऊदी अरब भी भारत के साथ

सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय द्वारा जारी बयान में कहा गया है, "हम हिंसा, उग्रवाद और नागरिकों को निशाना बनाने के सभी कायराना हरकतों को अस्वीकार करते हैं और भारत के साथ दृढता के साथ खड़े हैं। सऊदी अरब पीड़ित परिवारों और भारत सरकार के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना और सहानुभूति व्यक्त करता है।" बयान में कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सऊदी अरब यात्रा में भारत और सऊदी पक्षों ने पहलगाम में हुए आतंकी हमले की निंदा की है। दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए हैं कि आतंकवाद को किसी भी तरह से उचित नहीं ठहराया जा सकता।

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बयान में कहा गया, "दोनों पक्षों ने 22 अप्रैल 2025 को जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले की कड़ी निंदा की, जिसमें निर्दोष नागरिकों की जान चली गई। इस संदर्भ में, दोनों पक्षों ने आतंकवाद और हिंसक उग्रवाद की सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में निंदा की और इस बात पर जोर दिया कि यह मानवता के लिए सबसे गंभीर खतरों में से एक है।" बयान में कहा गया, "वे इस बात पर भी सहमत हुए कि किसी भी कारण से किसी भी आतंकवादी कृत्य को उचित नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने आतंकवाद को किसी विशेष जाति, धर्म या संस्कृति से जोड़ने के किसी भी प्रयास को भी अस्वीकार कर दिया।"

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संयुक्त अरब अमीरात ने भी की कड़ी निंदा
संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के विदेश मंत्रालय ने भी मंगलवार को एक बयान में हमले की "कड़ी निंदा" की। वहां के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "यूएई इन आपराधिक कृत्यों की कड़ी निंदा करता है और अंतरराष्ट्रीय कानून के उल्लंघन में सुरक्षा और स्थिरता को कमजोर करने के उद्देश्य से हिंसा और आतंकवाद के सभी रूपों को स्थायी रूप से अस्वीकार करता है।" यूएई ने भारत सरकार और लोगों तथा इस जघन्य हमले के पीड़ितों के परिवारों के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना और सहानुभूति व्यक्त की और सभी घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की।

अलग-थलग पड़ा पाकिस्तान
दूसरी तरफ, पाकिस्तान अलग सुर अलाप रहा है। पाक प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के करीबी और रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा है कि इस हमले से पाकिस्तान का कोई संबंध नहीं है। उन्होंने कहा, "यह सब उनके ही घर में ही शुरू हुआ है। भारत के खिलाफ कथित राज्यों में क्रांति चल रही है। एक या दो नहीं, बल्कि दर्जनों चल रहे हैं। नगालैंड से कश्मीर, छत्तीसगढ़ में, मणिपुर में ऐसा हो रहा है। इन सभी स्थानों पर भारत सरकार के खिलाफ क्रांति हो रही है।"

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इससे पहले पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने कुछ दिन पहले कश्मीर को पाकिस्तान की ‘गले की नस’ बताया था, जिस पर नयी दिल्ली की ओर से तीखी प्रतिक्रिया आई थी। जनरल मुनीर ने 15 अप्रैल को इस्लामाबाद में पहले प्रवासी पाकिस्तानी सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा था, ‘‘हमारा रुख बिल्कुल स्पष्ट है, यह हमारी गले की नस थी, यह हमारी गले की नस रहेगी और हम इसे नहीं भूलेंगे। हम अपने कश्मीरी भाइयों को उनके वीरतापूर्ण संघर्ष में अकेला नहीं छोड़ेंगे।’’

अब सहमा पाकिस्तान
इस हमले के बाद देश में जहां भारी गुस्सा और रोष है, वहीं केंद्र सरकार आतंकवादियों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार है। आज शाम प्रधानमंत्री मोदी के आवास पर सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति की बैठक हो रही है। माना जा रहा है कि सरकार आतंकियों के खात्मे के लिए कोई बड़ा कदम उठा सकती है। इससे पाकिस्तान सहमा हुआ है। उसने सीमा पर अपनी वायुसेना को अलर्ट कर दिया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने CCS की मीटिंग से पहले सेना के तीनों प्रमुखों के साथ करीब ढाई घंटे की बैठक की है।

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