एनजीओ ने एमपीपीसीबी पर गुमराह करने का आरोप लगाया, मरकरी का खतरनाक मुद्दा छुपाने का दावा

भोपाल
एक एनजीओ ने एमपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीपीसीबी) और अन्य एजेंसियों पर एमपी हाई कोर्ट को गुमराह करने का आरोप लगाया है। एनजीओ का कहना है कि इन एजेंसियों ने जानबूझकर पीथमपुर फैक्ट्री में यूनियन कार्बाइड कचरे के निपटान के दौरान मरकरी के खतरनाक मुद्दे को छुपाया।

एनजीओ का आरोप है कि पीथमपुर फैक्ट्री में मरकरी को ठीक करने की क्षमता नहीं है। मरकरी एक बहुत ही हानिकारक भारी धातु है जिसे बिना उपचार के लैंडफिल में डाला जा रहा है। बीजीपीएसएसएस नामक एनजीओ की सदस्या साधना कर्णिक ने कहा कि ट्रायल रन में कमियां थीं। उन्होंने कहा कि 1 मई से बचे हुए 307 मीट्रिक टन कचरे को जलाना शुरू होने की संभावना है। कर्णिक ने आरोप लगाया कि एमपी हाई कोर्ट को सौंपी गई ट्रायल रन की रिपोर्ट में मरकरी को ठीक करने या सोखने का कोई जिक्र नहीं था।
बीजीपीएसएसएस ने दी जानकारी

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उन्होंने कहा कि मरकरी को सोखना एक मुश्किल काम है और पीथमपुर की सुविधा इसे संभालने में सक्षम नहीं है। उन्होंने दावा किया कि पीथमपुर सुविधा में तीन ट्रायल रन में जलाए गए 30 मीट्रिक टन जहरीले कचरे में कम से कम 15 से 20 किलो मरकरी थी। बीजीपीएसएसएस की सदस्या साधना कर्णिक ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह आरोप लगाया।
ट्रायल रन की रिपोर्ट का किया विश्लेषण

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उन्होंने आगे कहा कि एमपीपीसीबी और अन्य एजेंसियां अदालत को गलत जानकारी दे रही हैं। उनके अनुसार, पीथमपुर फैक्ट्री में मरकरी को ठीक करने की क्षमता नहीं है, जो कि एक बड़ी समस्या है। कर्णिक ने बताया कि उन्होंने यह निष्कर्ष एमपीपीसीबी द्वारा ट्रायल रन पर दी गई रिपोर्ट के आंकड़ों का विश्लेषण करके निकाला है। उन्होंने आगे कहा कि जलाए जाने के दौरान मरकरी से छुटकारा पाने के लिए सल्फर और सल्फर डाइऑक्साइड का उपयोग किया जा रहा है, लेकिन मरकरी का अवशोषण आसान नहीं है क्योंकि यह अक्सर खुद को अलग कर लेता है।
अधिकारी का कहना

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एमपीपीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी ब्रजेश शर्मा से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि कार्बाइड में तत्वों की पहचान करने के लिए एक एक्सपर्ट कमेटी बनाई गई थी। उनकी जानकारी के अनुसार एक्सपर्ट कमेटी द्वारा पहचाने गए तत्वों में मरकरी शामिल नहीं था। उन्होंने जोर देकर कहा कि एमपीपीसीबी नहीं बल्कि एक्सपर्ट कमेटी ने कचरे को परिभाषित किया और पीथमपुर सुविधा में इसके निपटान के लिए हरी झंडी दिखाई।

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