Women’s Blind Cricket Team : भारत की पहली महिला ब्लाइंड क्रिकेट टीम आज भिड़ेगी नेपाल से…कप्तान ने मैच को लेकर बड़ी बात कह दी

 

 

 

स्पोर्ट्स डेस्क, न्यूज राइटर, 25 अप्रैल, 2023

 

देश को अपनी पहली वीमेंस ब्लाइंड क्रिकेट टीम मिल गई है। ये टीम अब नेपाल में आज से 30 अप्रैल के बीच पांच टी-20 मैचों की सीरीज खेलने जा रही है। क्रिकेट एसोसिएशन फॉर द ब्लाइंड इंडिया (CABI) और समर्थनम ट्रस्ट की लीडरशिप में बनी इस टीम में 17 खिलाड़ी हैं। जिसकी ब्रांड एम्बेसडर भारतीय महिला क्रिकेट टीम की कप्तान हरमनप्रीत कौर हैं। टीम में मौजूद इन खिलाड़ियों की आंखों की रोशनी भले ही कम हो, लेकिन आज ये देश का उजाला बनकर चमक रही हैं। साल 2022 के अगस्त से शुरू हुआ इन 20, 22 और 23 साल की लड़कियों का सफर अब अपनी मंजिल की ओर बढ़ चुका है। ये 17 प्लेयर्स देश के 10 अलग-अलग राज्यों से चुनी गई हैं।

 

आसान नहीं था टीम बनाना

क्रिकेट एसोसिएशन फॉर ब्लाइंड इन इंडिया (CABI) के प्रेसिडेंट डॉ जीके महंतकेश और जनरल सेक्रेटरी जॉन डेविड के मुताबिक, टीम पूरी तरह भारत को ट्रॉफी दिलाने के लिए तैयार है। प्रेसिडेंट डॉ जीके महंतकेश कहते हैं, “ये एक ऐतिहासिक दिन है। क्रिकेट इतिहास में ये दिन याद रखा जाएगा। 2013 के बाद हमने सोचना शुरू किया था। इसके बाद इसे पूरा होने में 6 साल लग गए। उसके करीब 3-4 साल हमने टीम बनाई है। हालांकि, ये टीम बनाना आसान नहीं था। क्योंकि लड़कियों की सुरक्षा को देखते हुए सभी के माता-पिता को मनाना आसान काम नहीं था। लेकिन सभी लोगों ने मिलकर ये किया। आज हमारे पास टीम है। देश के कई हिस्से में हम मैच कर चुके हैं। क्रिकेट सशक्तिकरण का एक बड़ा माध्यम है।”

वहीं, इंडियन वीमेंस क्रिकेट टीम की कैप्टन हरमनप्रीत कौर भी लगातार प्लेयर्स का हौसला बढ़ा रही हैं। शुक्रवार को हरमनप्रीत कौर ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि हमारी टीम पहली बार इंटरनेशनल टूर के लिए जा रही है। सभी लोग वीमेंस क्रिकेट को आगे बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं। आशा है कि हमारी टीम के रिजल्ट भी अच्छे आएंगे।

 

“पूरी तरह तैयार हैं हम”- कैप्टन सुषमा

25 अप्रैल को पोखरा क्रिकेट ग्राउंड में वीमेंस बाइलेट्रल T-20 क्रिकेट सीरीज फॉर ब्लाइंड 2023 का आयोजन होने जा रहा है। अपनी तैयारियों के बारे में ब्लाइंड क्रिकेट टीम की सुषमा पटेल ने बताया कि हम पूरी तरह से तैयार हैं। टीम में सबसे बेहतरीन प्लेयर्स शामिल किए गए हैं।

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भोपाल के दमोह जिले के एक छोटे से गांव से ताल्लुक रखने वाली 20 साल की सुषमा भारत की पहली वीमेंस ब्लाइंड क्रिकेट टीम की कप्तान हैं। सुषमा बताती हैं कि उन्हें इस खेल के बारे में 2021 में मालूम चला। क्रिकेटर बनने का सपना उनके पापा का था। जब उन्होंने अपने पिता से पूछा कि क्या मैं भी ये खेल सकती हूं, तो उन्होंने कहा कि हां क्यों नहीं? सुषमा कहती हैं, “मैं B3 कैटेगरी में खेलती हूं और ऑल राउंडर हूं। 2021 में जब इसके बारे में पता लगा तो पहले स्कूल में बच्चों को खेलते देखा। ब्लाइंड क्रिकेट की ट्रेनिंग अलग होती है।”

 

क्या है ब्लाइंड क्रिकेट गेम का फॉर्मेट?

दरअसल, ब्लाइंड क्रिकेट भी नियमों के तहत खेला जाता है जिनमें से ज्यादातर आम क्रिकेट जैसे ही हैं। लेकिन चूंकि ये गेम नेत्रहीन लोगों को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है, इसलिए इसके कुछ नियम अलग होते हैं। इसमें तीन कैटेगरी होती है- B1, B2 और B3। बी1 में वो प्लेयर्स होते हैं जो पूरी तरह से नेत्रहीन होते हैं। बी2 में आंशिक रूप से दृष्टिहीन खिलाड़ी होते हैं और बी3 में 70 से 80 फीसदी दृष्टिहीन प्लेयर्स होते हैं। एक टीम में अधिकतम चार आंशिक दृष्टि वाले खिलाड़ी (B1) होने की अनुमति होती है, जबकि हर टीम में आंशिक रूप से दृष्टिहीन (B2) तीन खिलाड़ी शामिल होते हैं और कम से कम चार पूरी तरह दृष्टिबाधित खिलाड़ी (B3) होने चाहिए।

ब्लाइंड क्रिकेट फॉर्मेट की बात करें, तो एक गेंदबाज को केवल अंडरआर्म गेंदबाजी करनी होती है। बल्लेबाज तक पहुंचने से पहले बॉल की डिलीवरी दो बार पिच होनी चाहिए। बल्लेबाज आमतौर पर ब्लाइंड क्रिकेट में स्वीप शॉट का उपयोग करता है ताकि बल्ले से गेंद आसानी से हिट हो सके। इतना ही नहीं बल्कि गेंदबाज जब बॉल फेंकने वाला होता है तो पहले “रेडी” कहता है और बल्लेबाज “हां” में जवाब देता है। इतना ही नहीं गेंद फेंकते समय, गेंदबाज बल्लेबाज को “प्ले” कहता है। अगर वह ऐसा नहीं करता है तो अंपायर इसे नो-बॉल करार देता है।

इसके अलावा, ब्लाइंड क्रिकेट में उपयोग किए जाने वाले स्टंप लकड़ी या प्लास्टिक के बने होते हैं। विकेट फ्लोरोसेंट नारंगी या लाल होता है। इसके अलावा, ब्लाइंड क्रिकेट में बेल्स नहीं होती हैं। इंडियन वीमेंस ब्लाइंड क्रिकेट टीम की कैप्टन सुषमा बताती हैं कि ब्लाइंड क्रिकेट में आम क्रिकेट की तरह लेदर की बॉल नहीं होती है। इसमें एक टफ प्लास्टिक की बॉल होती है जिसमें अंदर से आवाज आती है। उस आवाज से ही प्लेयर्स को बॉल के मूवमेंट का पता चलता है। B1 को आगे लगाते हैं ताकि बॉल की आवाज से वो समझ सकें कि वो कहां जा रही है।

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देश के अलग-अलग राज्यों से ताल्लुक रखते हैं प्लेयर्स

ऐसे ही 20 साल की दीपिका ऑल राउंडर प्लेयर हैं। अब तक वे 3 नेशनल मैच खेल चुकी हैं। कर्नाटक से ताल्लुक रखने वाली दीपिका ने ये खेल 2019 में अपने भाई के कहने पर खेलना शुरू किया था। ठीक ऐसे ही महाराष्ट्र में जन्मी गंगा 24 साल की हैं। वे 5 साल से ब्लाइंड क्रिकेट खेल रही हैं। सबसे पहले उन्होंने नेशनल खेला, इसके बाद भोपाल में इंटरनेशनल मैच के लिए लगे कैम्प में ट्रायल दिया और सिलेक्शन हो गया। गंगा कहती हैं, “शुरुआत में थोड़ी परेशानी आई, लेकिन फिर धीरे-धीरे सब ठीक होता गया। पूरी टीम नेपाल के लिए तैयार है। हम जीतकर ही आएंगे।”

दिल्ली यूनिवर्सिटी के औरबिंदो कॉलेज से ग्रेजुएशन कर रही प्रीति प्रसाद भी देश का प्रतिनिधित्व करने वाली हैं। 21 की प्रीति पश्चिम बंगाल से हैं। प्रीति बताती हैं, “इस गेम के बारे में भैया ने बताया था। 2022 में भाई ने कहा कि ट्रायल चल रहे हैं तुम भी देने चली जाओ। पहले नेशनल का ट्रायल हुआ और फिर मैंने भोपाल में कैम्प में ट्रायल दिया और इसी तरह टीम में मेरा सिलेक्शन हुआ।”

 

बी1 कैटेगरी

वर्षा, वलासनैनी रवन्नी, सिमु दास, पद्मिनी टुडू, किल्लाका संध्या, प्रिया

बी2 कैटेगरी

गंगव्वा निलप्पा हरिजन (VC), प्रीतिबेन बाबूभाई देसाई, सान्द्र डेविस, करिमलिकल, बसंती हंसदा, प्रीति प्रसाद

बी3 कैटेगरी

सुषमा पटेल (C), एम सत्यवती, फुला सरेन, झिली बिरुआ, गंगा संभाजी कदम, दीपिका

 

प्लेयर्स को आती रहती हैं छोटी-मोटी चोटें

ब्लाइंड क्रिकेट टीम की फिजियोथेरेपिस्ट डॉक्टर राजश्री रामावत बताती हैं कि वीमेंस क्रिकेट टीम की टेनिंग भी लड़कों के जैसी ही होती है। राजश्री पिछले 10 साल से ब्लाइंड क्रिकेट टीम की फिजियोथेरेपिस्ट हैं। वे मेंस और वीमेन दोनों टीमों की डॉक्टर रह चुकी हैं। ट्रेनिंग को लेकर बताती हैं कि लड़कों का गेम थोड़ा अग्रेसिव होता है जबकि लड़कियों को उस फॉर्म तक लाने के लिए तैयार करना पड़ता है। इसके लिए सुबह से शाम तक प्लेयर्स की प्रैक्टिस करवाई जाती है। डॉ राजश्री कहती हैं, “B1 में खड़े होने वाले प्लेयर्स चूंकि पूरी तरह से नेत्रहीन होते हैं तो उनको चोट लगती रहती है या फिर मांसपेशियों से जुड़ी चोट भी लगती रहती हैं। भागते हुए, क्रैम्प्स आदि। इसके लिए हम रोज उनकी ट्रेनिंग लेते हैं। उनकी डाइट और फूड वगैरह का ध्यान रखते हैं। ऐसे में उनका ध्यान रखना जरूरी होता है।”

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आगे वे कहती हैं कि पिछले 10 साल में काफी कुछ बदलाव आए हैं। पहले प्लेयर्स को उतनी फैसिलिटी नहीं मिल पाती थी। लेकिन अब उन्हें प्लेटफॉर्म मिल रहे हैं। देश में स्पोर्ट्स आगे बढ़ रहा है।

सभी का सपोर्ट है जरूरी

हालांकि, इस टीम को खड़ा करना इतना आसान नहीं था। लड़कियों की सुरक्षा से लेकर घरवालों को मनाना, ग्राउंड मिलना, फैसिलिटी मिलना, आर्थिक तौर पर सहायता मिलना जैसी कई चीजें हैं जो अभी भी ब्लाइंड क्रिकेट टीम के सामना आती हैं। टीम की तैयारी को लेकर सुषमा कहती हैं कि हमारी बहुत अच्छी तैयारी है। CABI ने इस दौरान हमारा पूरा सपोर्ट किया है। हम सभी एक साथ 17 अप्रैल से प्रेक्टिस कर रहे हैं। आखिर में सुषमा कहती हैं, “मैं सभी नेत्रहीन बच्चों के माता-पिता और समाज के लोगों को बस इतना ही कहना चाहूंगी कि बच्चा जो पसन्द करता है उसे वो करने दें। मां-बाप अपने बच्चे को आगे भेजे और समाज भी ऐसे बच्चों को सपोर्ट करे क्योंकि ऐसे बच्चों का जीवन दूसरों से काफी मुश्किल जरूर होता है लेकिन मौका मिलने पर हम उनसे भी आगे जा सकते हैं।”

 

मैच का शेड्यूल

25 अप्रैल, 2023 सुबह 10 बजे पोखरा क्रिकेट ग्राउंड, कास्की

26 अप्रैल, 2023 सुबह 9:30 बजे पोखरा क्रिकेट ग्राउंड, कास्की

28 अप्रैल, 2023 सुबह 9 बजे मुलपानी क्रिकेट ग्राउंड, काठमांडू

29 अप्रैल, 2023 सुबह 9 बजे मुलपानी क्रिकेट ग्राउंड, काठमांडू

30 अप्रैल, 2023 सुबह 9 बजे मुलपानी क्रिकेट ग्राउंड, काठमांडू।

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